अभिरंजन कुमार
मीडिया के ज़रिए पिछले दो-तीन दिन से आम आदमी पार्टी के बाग़ी विनोद कुमार बिन्नी को लगातार सुन रहे हैं। आज फिर उन्हें रजत जी के अति-लोकप्रिय कार्यक्रम “आपकी अदालत” में थोड़ी देर सुना। इन प्रेस कांफ्रेंसेज़ और इंटरव्यूज़ के हवाले से ऐसा लग रहा है बिन्नी भले महत्वाकांक्षी हों, लेकिन काफ़ी हद तक सुलझे हुए व्यक्ति हैं और आम आदमी पार्टी के बहुत सारे नेताओं की तुलना में अधिक समझदार और संतुलित भी।
उनका जो इम्प्रेशन मेरे मन पर बना है, उससे मुझे लगता है कि अगर वे मंत्री पद चाहते भी थे, जैसा कि अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं, तो क्या प्रॉब्लम थी? कम से कम राखी बिड़लान और सोमनाथ भारती जैसों की तुलना में तो हर हालत में वे बेहतर दावेदार थे। ऐसे में मेरे मन में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या अन्य पार्टियों की तरह आम आदमी पार्टी में भी चापलूसों की चांदी है और काबिल और ख़ुद्दार लोगों की उपेक्षा हो रही है? और अगर यह सच है तो इस नई-नवेली पार्टी को यह नई संस्कृति कहां ले जाएगी?
(स्रोत-एफबी)