भारतीय प्रेस परिषद की बिहार में पत्रकारिता की आजादी पर अपनी जांच रिपोर्ट दे दी है.रिपोर्ट में नीतीश सरकार की तुलना इमर्जेंसी से की गई है और कहा गया है कि बिहार में निष्पक्ष पत्रकारिता करना असंभव है।
इस रिपोर्ट से हमारे कई मित्र खासा उत्साहित है ऐसा लग रहा है जैसे बिहार के बारे में किसी ने ऐसा कुछ कह दिया हो जिसका एहसास लोगो को नही था। अरे बाबा हमलोग तो रोज फिल्ड में फेस करते हैं कहते है सिर्फ ले ही रहे हैं कि दिखायेगी भी अब तो खुलेआम गाली देने लगे हैं।
खासकर जब पटना की सड़को पर कोई बड़ा आन्दोलन होता है।विपंक्ष के प्रेस वर्ता में भी यही सूनना पड़ता है काटजू को जो रिपोर्ट सौंपा गया है उससे कही बूरी स्थिति फिल्ड में है।
लेकिन सवाल यह उठता है कि इसका विकल्प क्या है कैसे आप स्वतंत्र और निष्पंक्ष पत्रकारिता कर सकते हैं और फिर हर किसी के नजर में पत्रकारिता के निष्पक्षता और स्वतंत्रता की परिभाषा भी अलग अलग है तय करना मुश्किल है चलिए इसी बहाने नीतीश एक बार फिर घेरे में हैं।
(अपने फेसबुक वॉल पर संतोष सिंह )