बिहार में सरकारी स्कूलों के छात्रों का हक़ मार रहे है निजी स्कूलों के छात्र, सरकार मौन

बिहारशरीफ़ – मुख्यमंत्री साईकिल, बालिका पोशाक तथा छात्रवृति योजना की राशि वितरण के दौरान हो रहे हंगामे तथा शिक्षको के साथ मार-पीट के चलते सदियों से चली आ रही गुरु -शिष्य परंपरा समाप्त हो रही है. वहीँ दूसरी ओर छात्रों और अभिभावकों के आक्रोश को राज्य सरकार व जिला प्रशासन समझने के बजाय खुद उन्हें दोषी ठहराने में लगा है.सरकार तथा जिला प्रशासन असली मुदा पर कारब्वाई करने के बजाय उलटे छात्र – छात्राये तथा उनके अभिभावक को दोषी ठहरा रही है.

ध्यान रहे कि सम्पूर्ण बिहार में १५ से ३० जनवरी तक मुख्यमंत्री साईकिल, बालिका पोशाक तथा छात्रवृति योजना की राशि का वितरण हुई थी . पिछले साल भी इन योजनाऒ की राशी का वितरण हुआ था,परुन्तु उस दोरान हल्ला-हंगामा नहीं हुआ था.


विद्यालय में छात्रो की उपस्थिती से चिंतित राज्य सरकार ने इस साल से सभी विद्यालयों में नियम लागू किया की योजना की राशि लेने हेतु ७५ प्रतिशत उपस्थिती जरुरी होगी. उससे कम उपस्थिति वाले छात्र को किसी भी हालत में राशि का भुगतान नहीं किया जायेगा.

गौरतलब है कि नालंदा जिले में ५०० से अधिक पब्लिक स्कूल कायर्रत है. इन स्कूल के संचालक द्वारा छात्र से मोटी रकम हर माह फीस के रूप में ली जाती है. परन्तु ,इन स्कूल के संचालक इन बच्चो का नामांकन अपने मेल वाले सरकारी स्कूल में करवा देते है, कक्षा एक से लेकर दसवीं तक.

बताया जाता है कि सरकारी राशि वितरण के दौरान छात्र – छात्राये तथा उनके अभिभावक इस लिए हल्ला हंगामा कर रहे थे की उनके बच्चो की हाजरी ५ प्रतिशत भी कम हो जाती है तो राशी नहीं दी जा रही है, वही दूसरी ओर एक दिन भी स्कूल का मुंह नही देखने वाले छात्रों की हाजरी ७५ प्रतिशत से अधिक है. हंगामें भी वैसे ही स्कूलों में हो रहे थे , जहा बाहरी (निजी स्कूलों में पढने वाले) छात्रों की सख्या अधिक है. कुछ हद तक छात्रों का गुस्सा लाजमी भी है. आखिर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का बिना स्कूल आये सरकारी स्कूल में हाजरी कैसे बन जाता है. कही न कही प्राइवेट स्कूल के संचालकों तथा सरकारी स्कूलों के हेड मास्टर के बीच साठ-गाठ है.

नालंदा जिला में एक है:- पब्लिक स्कूल एसोसियेसन. नालंदा में करीब ५०० निजी स्कूल है. परन्तु संघ में है, सिर्फ दो दर्ज़न स्कूल. इस संघ के पदाधिकारियों का एक मात्र मकसद है, जिला प्रशासन के आगे -पीछे लगे रहो और अपना मतलब साधॊ. इन पदाधिकारियों को संघ में सदस्यों की संख्या बढ़ाने में तनिक भी रूचि नहीं है.

इन निजी विद्यालय संघ के स्कूल के बच्चो का नामांकन सरकारी स्कूल में है. एक ही छात्र की हाजरी दो जगह बनती है. सरकार द्वारा दी जाने बाली साईकिल, इन निजी स्कूल तथा कोचिग संस्थानों के प्रांगण की शोभा बढ़ाती है. उपरोक्त बातो की जानकारी जिला पदाधिकारी से लेकर जिला स्तर के शिक्षा पदाधिकारियों तक है, परन्तु कारवाई कुछ नहीं किया जा रहा है अगर समय रहते सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो अभिभावकों और छात्रों के गुस्से पर काबू पाना मुश्किल हो जायेगा.

बिहार के सुशासन बाबु ने विधायकों एवम् नेताओं पर लगाम तो लगाने का प्रयास किया है लेकिन इन बे – लगाम शिक्षा माफियाओं और भ्रष्ट शिक्षा अधिकारीयों पर कब लगाम लगायेगी या इन पदाधिकारी के कारनामो से सुशासन का अंत होने के बाद ही सुशासन बाबु की निंद्रा टूटेगी. ( संजय कुमार , स्वतंत्र पत्रकार , . बिहारशरीफ )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.