मौसम विज्ञानी रामविलास पासवान नहीं रहे . क्या बीबीसी हिंदी का यह हेडिंग बहुत आश्चर्य का भाव नहीं भरता! किसी भी विधा का कोई व्यक्ति,संस्थान जब वर्तमान समय की लोकप्रिय धारा के प्रवाह में बहकर या शामिल होकर, लोकप्रिय होना चाहता है तो वह अपनी विशिष्टता से ज्यादा लोकप्रियता को महत्व देने लगता है. चाहे वह साहित्य की बात हो, कला की बात हो या कि पत्रकारिता की ही. सवाल बड़ा सरल है कि मौसम विज्ञानी कौन कहता था रामविलास पासवान को?
यह कोई टैगोर से गांधी को महात्मा जैसी मिली उपाधि तो थी नहीं! तो क्या किसी को भी एक वर्ग उस नाम से कहना शुरू करेगा, उस नाम से बीबीसी जैसा जिम्मेवार संस्थान हेडिंग चलायेगा?
गुणागणित लगाकर ही सही,डीफेम करने के लिए, राहुल गांधी का एक नाम पप्पू मशहूर किया गया तो बीबीसी राहुल गांधी के नाम के पहले ऐसे विशेषण लगायेगा?
प्रधानमंत्री को भी बहुत कुछ कहा जाता है तो क्या बीबीसी हेडिंग लगायेगा?
लालू प्रसाद के नाम आगे एक बड़ा वर्ग बिहार में अनेक किस्म का विशेषण लगाता है. तो क्या बीबीसी या कोई जिम्मेवार संस्थान वह हेडिंग में चलायेगा?
मौसम विज्ञानी रामविलास पासवान को अवसर पकड़ने के लिए ही कहा जाता था न? कहता कौन था? किसने पॉपुलर किया यह विशेषण? बिहार में कौन दल अवसर नहीं पकड़ा है या बिहार छोड़ें, देश में यह भी बताये. रामविलास ने क्या नया किया था अवसर पकड़कर?
भाजपा और कम्युनिस्ट एक घाट पर इस देश में पानी पी चुके हैं.बिहार में इस बार भाकपा माले और राजद का गंठबंधन हंसी—राजी—खुशी हो चुका है. क्या वह समाजसेवा के लिए हुआ है या कि सत्ता की सियासत को साधने के लिए ही. कांग्रेस का ही विरोध कर खड़ी हुई समाजवाद पार्टियां कांग्रेस की संगी हैं सभी जगह, दांती—काटी रोटी का रिश्ता बन रहा है? किसलिए, सत्ता साधने के लिए ही न?
कौन सत्ता साधने के लिए अपने समीकरण को नहीं बदला इस देश में? राजद और जदयू का मिलान हो चुका है, कम्युनिस्ट—भाजपा एक घाट पर पानी पी चुके हैं, कांग्रेस को ही मिटाने के लिए बनी शिवसेना, घोर सांप्रदायिक मानीजानेवानी शिवसेना, कांग्रेस के साथ सरकार चला रही है.
तो मौसम विज्ञानी आमबोलचाल में बोला जाता है. रामविलास पासवान के नाम के आगे यह लगाया भी गया था उन्हें डीफेम करने के लिए ही या मजाक उड़ाने के लिए ही. तो क्या किसी को डीफेम करने के लिए, मजाक उड़ाने के लिए जो शब्द कोई विरोधी खेमा स्थापित करेगा, उसे बीबीसी जैसा जिम्मेवार संस्थान स्थापित सच मानकर हेडिंग में चलायेगा. बीबीसी का नियमित पाठक होने के नाते ठीक नहीं लगा. ( सोशल मीडिया @ Nirala Bidesia )