सुजीत ठमके
जम्मू – कश्मीर आज़ाद भारत के एक ऐसा हिस्सा जिस पर पडोसी दुश्मन मुल्क पाकिस्तान की बंटवारे से ही नजर है। देश के बंटवारे का जितना राजनेताओ को है उससे कई गुना ज्यादा दर्द जम्मू कश्मीर के जनता को है। जम्मू कश्मीर पर नेहरू – जिन्ना विवाद। कबालियो का आक्रमण। जम्मू – कश्मीर का अलग संविधान। वर्ष 1947 के बाद जम्मू कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का पनपना। जम्मू कश्मीर को बचाने के लिए राजा हरिसिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और केंद्र सरकार से लगाईं गुहार। देश का संविधान, संघीय ढाँचा जम्मू कश्मीर के कायदे कानून, राजनीति, आर्टिकल ३७० आदि आदि आदि बहुत अलग विषय है।….
लेकिन हम बात कर रहे है जम्मू – कश्मीर जैसे अति संवेदनशील राज्यों से टीवी रिपोर्टिंग की जो बेहद मुश्किल काम है। साम्भा, राजौरी,उधमपुर,डोडा, पुंछ,क़िस्तवाड,कठुआ, अनंतनाग, पुलवामा,बुलगाम, कुपवाड़ा, बारामुल्ला यह ऐसे जिले है जहा कौन दहशतगर्द? और कौन सिविलियन ? इसका अंदाज लगाना बीएसएस, तीनो सेना की अलग अलग बटालियन, खुफिया एजेंसी रॉ के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है। कौन से आतंकी ग्रुप के दहशतगर्द सिविलियन के भेष में आकर ताबड़तोड़ हमला कर दे और कौन मौत के मुंह में चंद सेकण्ड में समा जाए, कोई नहीं जानता. इसी वजह से जम्मू कश्मीर से टीवी रिपोर्टिंग करना एक टीवी रिपोर्टर के लिए कड़ी चुनौती है।
लेकिन इस चुनौती पर पार पाकर आजतक के अशरफ वाणी लंबे वक्त से देश – दुनिया तक कश्मीर की हर खबर को बड़ी संजीदगी से पहुंचा रहे हैं. जम्मू कश्मीर से दिल्ली खबर पहुंचाना इतना आसान नहीं. तकनीकी सुविधाओं की कमी है,फुटेज, पी-टू-सी, लाइव में दिक्कत आती है. इसके बावजूद अशरफ वाणी सबसे पहले खबर दर्शको तक पहुंचा ही देते है।
अशरफ वाणी ने टीवी टुडे नेटवर्क के जरिये सैटेलाइट न्यूज़ चैनल में टीवी पत्रकारिता की शुरुआत । आधुनिक टेलीविजन पत्रकारिता के जनक एसपी सिंह के टीवी पत्रकारिता को अशरफ वाणी ने नजदीक से देखा, जाना, पहचाना और समझा। इस वजह से एसपी साहब के पत्रकारिता के तेवर, कलेवर की झलक अशरफ वाणी के रिपोर्टिंग, स्क्रिप्टिंग, पी-टू-सी, लाइव प्रसारण में दिखाई भी देती है।
अशरफ वाणी ने जब टीवी पत्रकारिता की शुरुआत की तब जम्मू कश्मीर में अलगाववादी ताकते चरम पर थे। अशरफ वाणी ने खबरों के हर पड़ाव को देखा। मसलन …… कश्मीर घाटी से हिन्दू पंडितो का पलायन हो। दहशतदर्ग द्वारा आम नागरिको को निशाना बनाना। आर्मी पर आतंकी हमला। मिलिटेंट कैंप की सक्रियता। पीओके में कई आतंकी संगठनों द्वारा चलाये जा रहे कैंप। देश के तीनो सेना की सीमा पर चुस्त- दुरुस्त चौकसी हो। बीएसएस, सीआरपीएफ, तथा देश अलग अलग तीनो सेना टुकड़ियों के जाबाज सिपाई द्वारा आतंकी, घुसपेठियों को खोजने के लिए चलाया जाने वाला कॉम्बिंग ऑपरेशन हो। करगिल वार हो। पाकिस्तान, चीन , बांग्लादेश से हमारे देश में नाकाम घुसपेठियो की कोशिश हो। नेपाल से ड्रग माफियो की तस्करी हो। संसद हमले का मास्टर माइंड अफजल गुरु के जम्मू कश्मीर से जुड़े तार हो। हिंसा में जूलसता कश्मीर हो। भारत- पाक प्रधानमंत्री के बीच शांति वार्ता हो। दोनों देशो के उच्च स्तरीय शिष्ट मंडल की बातचीत हो या फिर जम्मू- कश्मीर के खूबसूरत वादियों का हर मौसम में बदलता मिजाज। अशरफ वाणी रिपोर्टिंग में सबसे तेज रहते है।
दरअसल हाल ही में आतंकी सरगना हाफिज सईद और वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रकाश वैदिक की विवादित मुलाक़ात से मीडिया की काफी चर्चा हुई। किन्तु १४ साल पहले आतंकी सरगना हाफीज सईद की मुलाक़ात वरिष्ठ पत्रकार पुण्यप्रसून ने ली थी तब मजबूत सेतु का काम अशरफ वाणी ने किया था। “लश्कर चीफ के साथ आज तक की बात”… नाम के शीर्षक से मुलाक़ात प्रसारित हुई।
अशरफ वाणी की कई भाषा पर बेहतर पकड़ है। मसलन हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, कश्मीरी, डोगरी, अरबी आदि। और इस भाषा का पुट अशरफ वाणी द्वारा कवर किये जानी वाली स्टोरी, पी-टू- सी, स्क्रिप्ट, लाइव प्रसारण में दिखाई देता है। एकतरफ जम्मू कश्मीर का मिजाज भी हर मौसम में बदलता रहता है। प्राकृतिक वरदान, खूबसूरत वादियाँ, बर्फ, स्नोफाल, डल झील, ग्लेशियर, अमरनाथ यात्रा और न जाने कितने बेहतर खूबसूरती का लुफ़्त उठाने लाखो सैनानी हर मौसम में आते है। जम्मू कश्मीर की सारी अर्थव्यवस्था सैलानियों का आना, फलो उत्पाद और निर्यात, ड्राईफ्रूट आदि पर निर्भर है। मौसम के बदलते मिजाज को टीवी न्यूज़ के जरिये दर्शको तक पहुचाना एक चुनौती है। तो दूसरी तरफ सीमा पर चुस्त भारतीय सेना की छन कर निकलने वाली खबर, दहशतगर्दीयो की करतुते, मुठभेड़, आतंकी गतिविधिया, अलगावादी संघटन के नेताओ के बयान, हुर्रियत नेता और स्थानीय राजनीति से जुडी हर छोटी बड़ी खबरों पर पैनी नजर अशरफ वाणी उससे भी बड़ी चुनौती को बेहतर अंजाम देते है। हार्ड हो या सॉफ्ट स्टोरी वाणी दर्शको को अपडेट रखते है।
अशरफ वाणी ने कई बड़ी नेशनल स्टोरीज ब्रेक की है। कई कद्दावर नेताओ को इंटरव्यू के जरिये गोलबंदी की है। जम्मू कश्मीर के सियासत से जुड़े राजनीतिक खबरों पर अच्छी पकड़ रखते है। पाक की सियासत और तख्तापलट को अशरफ वाणी बेहतर समज रखते है। कई बार बगैर बुलेट प्रूफ जैकेट पहने ही अशरफ वाणी रिपोर्टिंग पर चले जाते है। बीएसएफ और दहशतगर्द के बीच मुठभेड़ चल रही है और बैगेर बुलेट प्रूफ जैकेट पहने कोई शस्ख लाइव रिपोर्टिंग कर रहा हो तो समज लो वो शस्ख होनहार जम्मू कश्मीर के रिपोर्टर अशरफ वाणी है। खबरों को अलग अंदाज में परोसना यही अशरफ वाणी का यूएसपी है।
सुजीत ठमके
पुणे-411002