अशोक गहलोत के ड्रीम बजट में पत्रकारों की उपेक्षा

कोटा सहित प्रदेशभर में जिला व तहसील स्तर पर पत्रकारों के लिए आवास की मांग।

यूथ प्रेस क्लब,कोटा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी पारी के पांचवें व आखिरी बजट में हर किसी को खुश करने की कोशिश की है। लेकिन इसमें पत्रकारों की एक बडी जमात की घोर उपेक्षा की गई है। इससे मीडिया जगत में एक दशक से कार्यरत पत्रकारों में घोर निराशा व्याप्त है।

यूथ प्रेस क्लब कोटा के अध्यक्ष कमलसिंह यदुवंषी ने बताया कि बजट में  आगामी चुनावों की झलक साफ दिखती है। गहलोत के इस ड्रीम बजट में अधिस्वीकृत पत्रकारों को लैपटॉप  का उपहार देकर खुश  करने की चेस्टा की है। मेडिकल सहायता का दायरा 2 लाख से बढाकर 5 लाख रूपए किया गया। लेकिन प्रदेश में पिछले एक दशक  में सरकारों ने पत्रकारों के दायरे को नहीं समझा। इस अवधि में बडी संख्या में कई युवा पत्रकारों ने मीडिया जगत में एंट्री की है। सरकार ने ऐसे पत्रकारों को सरकारी योजना से जोडने के लिए भी कुछ कदम नहीं उठाए। पूर्व में कोटा में स्वायत्तशासन मंत्री शांतिधारीवाल व तत्कालीन जिला कलेक्टर अभय कुमार को सरकार के नाम पत्रकारों ने ज्ञापन देकर आवासीय योजना के लिए भूखंड की मांग की थी, बावजूद कुछ परिणाम नहीं आए।


क्लब के प्रवक्ता पीयूश प्रत्यक्ष ने बताया कि हकीकत में इस घोषणा से पत्रकारों का एक बडा तबका अब भी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रहा है। समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकारों, मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की डिग्री लेकर फील्ड में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकारों के लिए कुछ नहीं किया। प्रदेशभर में पत्रकारों के लिए जिला व तहसील स्तर पर पत्रकारों के लिए आरक्षित दर पर भूखंडों की घोषणा बजट में की जाती तो बेहतर होता। लेकिन ऐसा नहीं किया। कोटा सहित अन्य जिलों में भी युवा पत्रकार लंबे समय से आवासीय भूखंडों की मांग करते आ रहे है, लेकिन सरकार ने इस बजट में भी उनकी आवाज नहीं सुनी। क्लब पदाधिकारी पत्रकार दिनेश कश्यप, वीरेंद्रसिंह राठौड, सुरक्षा राजोरा, समकित जैन, हरिओम शर्मा , प्रवीण जैन, घनश्याम  सोनी, प्रदीप पांचाल, जितेन्द्र शर्मा  ने बताया कि आखिर यह कहां का न्याय है कि सीना जोरी करने वालों को तो सरकार आवासीय योजना के लिए भूखंड दे रही है और गांधीवादी तरीके से मांग कर रहे चैथे स्तम्भ की उपेक्षा की जा रही है। आखिर यह कहां तक उचित है। यूथ प्रेस क्लब ने एक स्वर में  सरकार से मामले में फिर से विचार विमर्श  कर आचार संहिता से पहले प्रदेशभर में पत्रकारों के लिए आवासीय योजना का मार्ग प्रशस्त  करने की मांग की है।

( मीडिया पॉइंट, कोटा )

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