हिंदी चैनलों पर आजकल अंग्रेजी बोलने की होड़ मची हुई है. कई एंकर तो इतने अंग्रेजी प्रेमी हैं कि अंग्रेजी को भी हिंदी में बोल देते हैं और एक भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं. मसलन आजकल ठंढ और कोहरे के कारण ट्रेनों के आवाजाही में देरी हो रही है तो एक एंकर ने कह दिया – “80 ट्रेंस लेट हैं। “. यह कैसी हिंदी है और इसमें क्या सहजता है?
आर्थिक मामलों के जानकार राजीव रंजन झा इस संदर्भ में अपने एफबी पर लिखते हैं –
80 ट्रेंस लेट हैं।
अरे ऐंकर साहब, सीधे कह देते कि 80 trains are late. क्यों हिंदी बोलने का भरम पैदा करते हैं?हमारी रोजमर्रा की बातचीत में अंग्रेजी के शब्द आ ही जाते हैं, कारण चाहे जो भी हो। एक उचित सीमा में अंग्रेजी के शब्दों को हिंदी में शामिल करने में भी कोई परेशानी नहीं। मगर जब दूसरी भाषा के शब्दों के साथ-साथ उसका व्याकरण भी घुसने लगे तो मामला दूसरी भाषा के शब्द लेने का नहीं, दोनों भाषाओं की बेमेल खिचड़ी बनाने का हो जाता है।
बात सही है कि अंग्रेजी बोलने का इतना ही शौक है तो ऐसे एंकर किसी अंग्रेजी चैनल में ही एंकरिंग के लिए कोशिश क्यों करते? दूसरी बात कि अंग्रेजी-हिंदी के इस भ्रम में दोनों भाषाओँ का मजाक बनाने की क्या जरूरत?
एंकर महोदय यदि अंग्रेजी पच नहीं रही और उगलना ही है तो सीधे-सीधे उगल दीजिए जनाब.उसे ऐसे funny language न बनाये. लेकिन लगता है कि ऐसे एंकर ‘नमकहलाल’ फिल्म के अमिताभ बच्चन की अंग्रेजी से कुछ ज्यादा ही प्रभावित हैं तभी तो खाते हिंदी का हैं और नमकहलाली अंग्रेजी का अदा करते हैं. ठीक ही कह गए हैं नमकहलाल के अमिताभ – “English is such a funny language. Bhairo becomes Byron because their minds are very narrow.”
फिलहाल नमकहलाल फिल्म की इस झन्नाटेदार अंग्रेजी का आनंद लीजिए –