अमित शाह यूपी के प्रभारी, तो इतना हंगामा क्यूं है भाई ?

निरंजन परिहार
बीजेपी ने कह दिया है कि वह आम चुनाव के लिए बिल्कुल तैयार है। इसी कड़ी में हर पार्टी की तरह बीजेपी ने भी प्रदेश के प्रभारियों की नियुक्ति की है। लेकिन और किसी को लेकर तो इतना हंगामा नहीं हो रहा है, पर अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाने पर खूब हो हल्ला हो रहा है। शाह को बहुत तेज तर्रार नेता बताया जा रहा है और इस तरह से मीडिय़ा में कोहराम मचाया जा रहा है जैसे, यूपी तो बहुत सीधे सादे और भोले लोगों का प्रदेश है और अमित शाह वहां जाकर उनको लूट लेंगे। सबसे ज्यादा हो हल्ला कांग्रेस के लोग कर रहे हैं। पर, कोई फर्क नहीं पड़ता। अमित शाह बहुत तेज आदमी है, तो कोई बात नहीं। राजनीति में वैसे भी ठक्कन लोगों की जरूरत किसको होती है।

अमित शाह जब गुजरात से दिल्ली कूच कर रहे थे, उसी दिन से सबको पता था कि उनको कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। इसलिए पहले उनका राष्ट्रीय महासचिव बनना और अब यूपी का प्रभारी बनना कोई बहुत चौंकाने वाली खबर नहीं है। और खबरें तो नरेंद्र मोदी के लखनऊ से चुनाव लड़ने की भी बहुत पहले से हवा में तैर रही थी। पर अब अमित शाह के वहां जाने से लगता है उस खबर पर सच की महर लग जाएगी। और इस नियुक्ति के साथ ही जैसी की उम्मीद थी, नरेंद्र मोदी के मिशन उत्तर प्रदेश की एक तरह से औपचारिक शुरुआत हो गई है।

अपन तो बहुत पहले से ही कहते रहे हैं कि मोदी लंबी राजनीतिक सोच और रणनीति के मजबूत आदमी रहे हैं, और जो भी करते हैं, बहुत सोच समझ कर करते हैं। इसीलिए अब उनका ध्यान यूपी की तरफ है, तो इसका मतलब साफ है कि मोदी की यह योजना राजनीतिक दृष्टि से देश के सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश में हिंदुत्व के मुद्दे पर वोटों का ध्रुवीकरण करके बीजेपी की खस्ता हालत को सुधारने की कोशिश है। वैसे, असल में तो यह काम राजनाथ सिंह का है। वे यूपी के हैं पर राजनाथ भी आखिर मोदी के ही हैं, सो काम अगर मोदी करें, उनके अमित शाह करें या राजनाथ, क्या फर्क पड़तो है। कुल मिलाकर काम होना चाहिए। बीजेपी का काम हो रहा है।

ऐसा लग रहा है कि उमा भारती, अमित शाह और वरुण गांधी आने वाले दिनों में यूपी में अहम भूमिका निभाएंगे। तीनों फायर ब्रांड हैं और मोदी की योजना में हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेताओं की बहुत जरूरत भी है। वरुण गांधी तो अभी खूब धूम धड़ाके के साथ सुल्तानपुर भी जा आए हैं और यह ऐलान भी कर आए हैं कि वे सुल्तानपुर से लड़ भी सकते हैं। कह आए हैं कि सुल्तानपुर आकर उनको लगा कि घर आ गए हैं। वरुण बोले, मेरे पिताजी को आपने बड़ा बनाया, मैं आपका सम्मान करता हूं। जनता को क्या चाहिए, थोड़ी सी तारीफ कर दीजिए, जनता खुश।

हालात देखकर साफ लगता है कि देश के आसन्न पीएम के रूप मे देख जा रहे मोदी ने खुद यूपी में पार्टी की हालत को सुधारने का जिम्मा लिया है। अमित शाह गुजरात में मोदी के साथ लंबे समय तक काम करते रहे हैं। दोनों एक दूसरे को जानते हैं और परस्पर क्षमताओं से भी खूब वाकिफ हैं। कार्यशैली भी दोनों की एक जैसी ही हैं। यही वजह हा कि यूपी के लिए खासतौर से अमित शाह को चुना गया है।

बहुत संभावना है कि आनेवाले कुछ ही दिनों में हिंदु वोटों के ध्रुवीकरण के लिए नरेंद्र मोदी यूपी की यात्राएं लगातार कर सकते हैं। वैसे भी अब बीजेपी के लिए साफ तौर पर हिंदुत्व के मोर्चे पर ही चुनाव मैदान में उतरना बाकी रह गया है। वैसे भी मोदी को पीएम बनना है तो रणनीति हिंदुत्व की ही अपनानी पड़ेगी। इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है। हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेताओं के बिना काम नहीं चलेगा। फिर अमित शाह को प्रभारी बनाने पर हंगामा हो तो हो, क्या फर्क पड़ता है। राजनीति में बेवकूफों को प्रदेशों का प्रभारी तो वैसे भी नहीं बनाया जाता।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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