-शिव दास-
आरएसएस की अगुआई वाली भाजपा की गोद में बैठने को आतुर अखिलेश इन दिनों उसके ही नक्शे-कदम पर चल रहे हैं। ये लखनऊ स्थित जीपीओ का वीडियो है जहां भोपाल पुलिस मुठभेड़ में मध्य प्रदेश सरकार और पुलिस की भूमिका की जांच की मांग कर रहे रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं को बुरी तरह पीटा जा रहा है।
कथित मुठभेड़ के नाम पर विचाराधीन कैदियों की सामुहिक हत्या का जो खेल पिछले दिनों भोपाल में सिमी कार्यकर्ताओं के साथ खेल गया, वैसे सैकड़ों खेल उत्तर प्रदेश में भी खेले जा चुके हैं। 2001 में वर्तमान गृह मंत्री राज नाथ सिंह, उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, के कार्यकाल में नक्सलवाद के नाम पर बखूबी खेल खेले जा चुके हैं। सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में दर्जनों ऐसी कथित पुलिस मुठभेड़ की घटनाएं हैं जो पूरी तरह से फर्जी थे।
2003 का रनटोला पुलिस मुठभेड़ कांड में तो इसके लिए 14 पुलिसकर्मियों को आजीवन करावास की सजा तक हो चुकी है। भदोही के फर्जी पुलिस मुठभेड़ कांड की कहानी किसी से छिपी नहीं है। ऐसा नहीं है कि मैं आतंकवाद और नक्सलवाद के नाम पर हिंसा का समर्थन कर रहा हूं लेकिन संविधान में प्रदत्त अधिकारों और उसके आधार पर बने कानूनों का अनुपालन न करना अपने आप में सबसे बड़ा आतंकवाद है।
वर्तमान में सत्ता के चरित्र और शासकों की भूमिका को देखकर ऐसा लगता है कि देश में लागू भारतीय संविधान और उसके आधार पर बने कानूनों के प्रति सत्ताधारी शासकों और उसके अंधभक्त समर्थकों में कोई सम्मान और डर नहीं है। आम आदमी को संवैधानिक कानूनों के प्रावधानों का अनुपालन करने का पाठ पढ़ाया जा रहा है तो खुद उसका उल्लंघन कर तानाशाही और एकाधिकार कायम करने की कोशिश की जा रही है। सत्ता की निरंकुशता के खिलाफ आम आदमी की उठने वाली आवाज को दबाया और खत्म किया जा रहा है जो एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है।
यूपी पुलिस की कार्रवाई का वीडियो –