योगेन्द्र यादव = अधिक से क्रमशः कम होता एक आम आदमी = खास आदमी में परिणत !!!!!!!!!
Musafir D. Baitha
पहले इन साहबजी का मोबाइल धकाधक लगता था और एक ‘सामान्य’ आम आदमी की तरह वे खुद फोन एटेंड करते थे, बतियाते थे। तब वे बहुत व्यस्त नहीं थे, गदगद करने वाला बीता दिल्ली चुनाव तब सर पर नहीं चढ़ा था, सर चढ़ने का मामला भी तबतक न था!
बहुत पहले तो नहीं, इधर की ही बात है। तब दिल्ली विधान सभा चुनाव होने में सप्ताह भर देर थी। अब उनका वही नम्बर डायल करिए तो कोई सारांश नामक सहायक/पीए फोन उठाने लगे।
इधर, चुनाव बाद से तो व्यापक बदलाव है। आम से ख़ास में परिणत होने को साफ़-साफ़ लक्षित करने वाला बदलाव!
अब उसी फोन पर लगाइये तो कोई नहीं उठाएगा बल्कि ऑटोमेटेड मोड में व्यवसायिक प्रीरिकॉर्डेड वाणी अगले को सुनाई पड़ती है।
1, 2, 3 और क्या क्या नम्बर आपको दबाने को आपको कहा जाता है। मसलन, हरियाणा के साथी और मीडिया के साथियों लिए अलग अलग नम्बर दबाने का प्रावधान कर दिया गया है तथा शुद्ध आम आदमी के लिए अन्य के नाम का कोई बटन रखा गया है।
गरज यह कि अब इस सौम्य-मृदुभाषी लगते यादव जी से बात करने के लिए पहले तो आपको आधा-एक मिनट दबा-दबउल की रिकॉर्डेड वाणी को अपनी हैसियत की ख़ास कोटि तलाश कर ख़ास बटन दबाना होगा तब कोई दूत उनका फोन रिसीव करेगा। वह दूत कब कैसे क्या इत्मीनान कर साहेब योगेन्द्र को फोन ट्रांसफर करता है, मैंने जांच-परख नहीं की है अबतक। चाहें तो आप यह काम करके देखिये! नम्बर न हो आपके पास, तो पास किये देता हूँ। ये रहा -09868888986 जो याद रखने में बेहद आसान है। आगे पीछे 986 (कह लें, गोपियाँ) और बीच में 8888 (कन्हैया) !!!!!!
(स्रोत-एफबी)