मुकेश कुमार,वरिष्ठ पत्रकार
संतन के घर झगड़ा भारी—–
ख़बरें आ रही हैं कि आम आदमी पार्टी के अंदर गुटबाज़ी अपने चरम पर पहुँच चुकी है और इसके सबसे सुशांत शालीन और समझदार माने जाने वाले नेता योगेंद्र यादव को पार्टी छोड़कर जाने के लिए मजबूर कर दिए जाने की भूमिका तैयार कर दी गई है। उनका गुनाह शायद ये बताया गया है कि उन्होंने पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने पर जो़र दिया था।
पूरी सूचनाएं आएँ तब आकलन किया जाए कि अब ये पार्टी पूरी तरह से दक्षिणपंथियों के कब्ज़े में जाने वाली है या केवल रणनीतिक मतभेद थे जो सुलझाए जा सकते हैं।
संतन के घर झगड़ा भारी-2
ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी अब आज तक के सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुज़र रही है। नेता और नीतियों दोनों स्तरों पर सिर फुटव्वल की नौबत है। व्यक्ति केंद्रित पार्टी तो ये शुरू से ही थी और आंतरिक लोकतंत्र को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं। नेतृत्व के तानाशाही रवैये के बारे में बहुत सारे नेताओं ने सवाल उठाए जो तात्कालिक रणनीति के तहत ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। यहाँ तक कि वैचारिक स्पष्टता भी रणनीति की भेंट चढ़ गई। केवल गवर्नेंस की बात करते रहे और भारत माता की जय चिल्लाते रहे। अब जबकि सत्ता में आ गए हैं तो शायद क्रांति तथा आमूल-चूल परिवर्तन तेल लेने चला जाएगा।
क्या पार्टी का नेतृत्व इस संकट से पार्टी को उबार पाएगा? क्या पार्टी एक रह पाएगी? क्या गुटबाज़ों का वर्चस्व टूट पाएगा? शायद इन सवालों के जवाब दो-चार दिनों में ही मिल जाएँगे।
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