निखिल आनंद गिरी
यूं तो कई हैं मगर ‘आज तक’ पर अंजना ओम कश्यप बड़ी वाचाल और बेअदब एंकर दिखती हैं. नेहरू की नीतियों पर डिस्कस करने के लिए सुधांशु त्रिवेदी, संजय झा जैसे बातूनियों को हर ब्रेक के बीच में चार-पांच मिनट दे रही हैं और मुशीरुल हसन जैसे इतिहासकार को ब्रेक पर जाने से पहले बस कैमरे पर दिखा दे रही हैं, उनकी बात आधे में ही काट दे रही है.
मुशीरुल इस एंकर की धरफरी को देखकर क्या सोच रहे हैं पता नहीं मगर मुझे इस प्रोग्राम का नाम ‘हल्ला बोल’ की जगह ‘हो-हल्ला’ रखने का मन कर रहा है. ऐसे धोखे से तो अच्छा कि ‘इंद्रा-द टाइगर’, ‘मैं हूं महाविनाशक’ जैसा कुछ कूड़ा देख लिया जाए.
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