आजतक के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रमों में से एक 10 तक है. ढेरों दर्शक सिर्फ इसी कार्यक्रम को देखते हैं और उसके हिसाब से ही राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं पर अपनी राय बनाते हैं.कार्यक्रम के एंकर पुण्य प्रसून वाजपेयी का हाथ मलते आना और मुस्कुराते हुए घटनाओं पर तंज कसना दर्शकों को खूब भाता है.बहरहाल हम यहाँ कार्यक्रम की गुणवत्ता पर बात करने का इर्द नहीं रखते. हमारा मकसद इसके नाम को लेकर उठी असमंजस की स्थिति पर है.
कार्यक्रम का नाम 10 तक है. आजतक पर 10 बजे जब कार्यक्रम पेश होता है तब भी स्क्रीन पर नंबर और शब्द में 10 तक लिखा आता है. इसे पूरे शब्दों में लिखे तो ऐसा लिखा जाएगा – “दसतक“.
आजतक के हिसाब से यही सही भी है. 10 बजे प्रसारित होने वाला कार्यक्रम दसतक. लेकिन शो के एंकर पुण्य प्रसून इसे लिखते हैं -“दस्तक”. कल उन्होंने ट्विटर पर जब 10 तक पेश न करने की बात लिखी तो लिखा “दस्तक“.
इससे कार्यक्रम के नाम को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा होती है. आजतक “10तक” लिखता जबकि उसी शो के एंकर “दस्तक” लिखते हैं.
शाब्दिक तौर पर दोनों के अलग मायने हैं और इसे पुण्य प्रसून वाजपेयी भली-भांति जानते ही होंगे. फिर उनका लगातार “दस्तक” लिखना सोंचने पर मजबूर करता है कि आजतक और पुण्य प्रसून के बीच “दसतक” और “दस्तक” को लेकर कोई द्वंद तो नहीं चल रहा?