सूचना और प्रसारण मंत्रालय का यह स्पष्ट मत है कि प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर दूसरे अखबार और न्यूज़ चैनल के विषय में चर्चा करते समय उनका पूरा नाम लेने की बाध्यता नहीं की जा सकती है.
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर द्वारा इस सम्बन्ध में दायर याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेशों के क्रम में निर्णय लेते हुए मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष का मत है कि प्रेस एवं पुस्तकों का पंजीयन अधिनियम 1867 की धारा 7 के अनुसार संपादक को यह सम्पूर्ण हक जान पड़ता है कि क्या छपा जाए. अतः यह उचित नहीं दिखता कि समाचारपत्रों को दूसरे समाचारपत्रों के विषय में चर्चा करते समय उनका नाम लिखने की बाध्यता की जाए. यह निर्णय समाचारपत्र के संपादक पर ही छोड़ा जाना चाहिए.
साथ ही मंत्रालय ने यह भी बताया कि उन्होंने सभी समाचारपत्रों को एक निश्चित समयसीमा तक अपने अभिलेख रखने हेतु दिशानिर्देश बनाए जाने का जो निवेदन किया गया था, वैसा प्रस्ताव प्रेस एवं पुस्तकों का पंजीयन एवं प्रकाशन बिल की धारा 25 (1) में रखा जा रहा है जिसके अनुसार प्रत्येक समाचारपत्र को मांगे जाने पर आरएनआई को एक प्रति प्रदान किया जाना अनिवार्य होगा.