-जगदीश्वर चतुर्वेदी-
कर जेएनयू तक,डीयू से लेकर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान तक,सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में खोज खोजकर औसत दर्जे के लोगों को बिठाया गया है,इसके अलावा इन संस्थानों की अकादमिक परंपराओं और अकादमिक परिवेश को सुनियोजित ढ़ंग से नष्ट किया जा रहा है।
कल रात को जेएनयू की एक प्रोफेसर का फेसबुक पोस्ट पढ़ रहा था उनको एक और कारण बताओ नोटिस वीसी ने थमा दिया है। जेएनयू की स्वस्थ परंपराओं को शिक्षकों और छात्रों में आपसी फूट और आतंक पैदा करके सुनियोजित ढ़ंग से नष्ट किया जा रहा है,ऐसे माहौल में किसी भी कार्यक्रम में जेएनयू वीसी को बुलाकर वैधता प्रदान नहीं करनी चाहिए।
आज हितेन्द्र पटेल की फेसबुक वॉल पर पढ़ रहा था,इतिहास के पूर्व छात्र जो संयोग से इतिहासकार भी हैं,वे 29 जनवरी को जेएनयू में मिल रहे हैं उनके समागम में वीसी महोदय को भी बुलाया गया है।
सवाल यह है जो वीसी खुलेआम शिक्षकों-छात्रों के हकों पर हमला बोल रहा हो उसे छात्रों -शिक्षकों के कार्यक्रम में बुलाना क्या जायज है ?
मैं निजी तौर पर उसमें शामिल सभी इतिहासकारों और पूर्व छात्रों को जानता हूँ,उनमें अनेक मेरे फेसबुक मित्र भी हैं,मैं निजी अनुरोध करूँगा कि जेएनयू इस समय विशेष संकटसे गुजर रहा है,ऐसी अवस्था में वीसी को अपने कार्यक्रम में न बुलाएं।मौजूदा वीसी हिटलर जैसी हरकतें कर रहा है और हिटलर की जगह अकादमिक समागमों में नहीं हो सकती।