सुषमा स्वराज ने जब अजीत अंजुम से पूछा था- कंचन कैसी है ?

दुनिया भर में बसे भारतीयों की गुहार सुनकर मदद करने वाली सुषमा स्वराज की पहल से इस बार एक मासूम को जीवनदान मिल जाएगा…

भोपाल में दिल की बीमारी के साथ तीन दिन पहले पैदा हुए एक बच्चे की जान मुश्किल में थी. अस्पताल ने सर्जरी की व्यवस्था नहीं थी. बच्चे के परिवार वालों को कुछ समझ नहीं आ रहा था . तभी उसके पिता ने ट्वीट करके सुषमा स्वराज से मदद मांगी. मामला स्वास्थ्य मंत्रालय का था लेकिन विदेश मंत्री होते हुए भी सुषमा स्वराज उस बच्चे को एयर एंबुलेंस से दिल्ली बुलवाकर उसकी सर्जरी कराने के इंतजाम में जुट गईं . उनके अधिकारियों ने भोपाल के अस्पताल और दिल्ली के एम्स से संपर्क करके पूरा इंतजाम किया और तीन दिन पहले जानलेवा बीमारी लेकर दुनिया में आया मासूम एयर एंबुलेंस से दिल्ली आ गया . अब एम्स में उसकी बीमारी का इलाज होगा . दुआ कीजिए कि उस मासूम की जान बच जाए …

अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी

सुषमा स्वराज ने बतौर विदेश मंत्री बीते दो सालों में न जाने कितने लोगों की मदद की है . दुनिया के किसी भी कोने से किसी एनआरआई ने ट्वीटर पर उनसे गुहार लगाई , सुषमा ने जवाब दिया . उनके महकमें के अधिकारी सक्रिय हुए और चुटकियों में उसकी मुश्किल आसान हो गई . ऐसे दर्जनों किस्से हैं. किसी का पासपोर्ट खो गया. कोई मिडिल इस्ट में कहीं फंस गया. किसी के परिवार को वीजा नहीं मिला. कोई विदेश में कहीं गुम हो गया. किसी की विदेश में किडनैपिंग हो गई . एक गुहार पर उसकी पुकार सुषमा स्वराज ने सुनी और अगर मुमकिन हुआ तो उसकी मदद करने की उन्होंने हर संभव कोशिश की .

सात- आठ महीने पहले की बात है. मैं ट्वीटर पर सुषमा स्वराज की सक्रियता देखकर अपने टाइम लाइन पर कई बार उनके बारे में लिख चुका था. तब मुझे पता नहीं था कि एक दिन ऐसा भी आएगा कि मुझे उनकी सख्त जरुरत पड़ जाएगी . हुआ यूं कि बनारस में रहने वाली रिश्ते की एक बहन के पति अपनी शीपिंग कंपनी के जहाज में नाइजीरिया गए थे . वहां नाइजीरियन लुटेरों ने उनके जहाज पर कब्जा कर लिया और मेरी बहन के पति समेत पांच लोगों को किडनैप करके साथ ले गए . शिपिंग कंपनी से मेरी बहन को जानकारी मिली.परिवार में हाय-तौबा मच गया . पता नहीं क्या होगा..जिंदा वापस लौट पाएंगे भी या नहीं ..नाइजीरियन लुटेरों से शीपिंग कंपनी के लोग डील करने में जुटे थे लेकिन मोटी रकम का मामला था या कुछ और ..कोई रास्ता नहीं निकल रहा था .मैं यूं ही ट्वीटर पर सुषमा जी से संपर्क किया और बनारस में रहने वाली अपनी फुफेरी बहन कंचन भारद्वाज की व्यथा उनतक पहुंचा दी. कुछ ही मिनटों के भीतर टवीटर पर ही उनका जवाब आया . मुझसे उनके अधिकारियों ने कंचन का नंबर मांगा . उनकी तरफ से कंचन से भी संपर्क किया गया..और कुछ दिनों की मशक्कत के बाद उसके पति नाइजीरियन लुटेरों से आजाद होकर सकुशल घौर लौट आए..हालांकि इसमें तीन –चार हफ्तों का वक्त लगा. मेरी बहन परेशान होती रही और सुषमा जी की तरफ से भरोसा मिलता रहा कि उसका पति सुरक्षित घर लौटेगा.

चौंक तो तब मैं गया जब कई हफ्तों बाद केन्द्रीय मंत्रियों के साथ टीवी संपादकों की एक बैठक के बाद सुषमा ने जी मुझसे पूछा – और कंचन भारद्वाज कैसी है ..अब खुश है न ..मुझे बहुत सुखद आश्चर्य हुआ कि इतने दिनों बाद भी उन्हें उस लड़की का पूरा नाम याद है . मेरे साथी संपादक भी चौके कि किस कंचन के बारे में सुषमा जी पूछ रहीं थीं ? मैंने जब उन्हें उन्हें पूरी बात बताई तो वो भी सुषमा की तारीफ करने लगे ….ये उनकी खासियत है .

सुषमा स्वराज जब अपनी गंभीर बीमारी की वजह से अस्पताल में थी, तब भी वो लोगों की मदद के लिए उपलब्ध थीं…कभी ऐसा हुआ है कि कोई मंत्री अपनी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हो फिर भी दूसरों की मदद के लिए हर वक्त सक्रिय हो …तभी तो जब उन्हें किडनी की जरुरत पड़ी तो कई शहरों से अनाम किस्म के लोगों ने अपनी किडनी देने की पेशकश कर दी . सुषमा जी ने बीते दो सालों में जो कमाया है , वो उनकी ऐसी पूंजी है , जिसके सामने सत्ता और कुर्सी सब फेल है …सुषमा जी , यूं ही आप सबकी मदद करती रहें ..दशकों तक जमाना याद रखेगा कि ऐसी भी कोई मंत्री थी …

अजीत अंजुम,मैनेजिंग एडिटर,इंडिया टीवी

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