विकास कुमार
पूर्व सांसद एवं बिहार के कोशी एवं सीमांचल की राजनीति से जुड़े राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। इस बार की प्रसिद्धि उन्हें कोई ऐसे वैसे कामो से नहीं मिल रही बल्कि उनके द्वारा लिखे गये किताब ‘देशद्रोह का पथिक’ के लिए मिल रही है। बिहार एवं देश की राजनीति में पप्पू यादव रचित इस किताब की चर्चा हाल के दिनों में प्रमुखता से हो रही है। इस किताब में उन्होने यह लिखकर सनसनी फैला दी है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा एनडीए के शाशनकाल में सांसदों की खरीद-फरोख्त का भी कारोबार कर चुके हैं। अपनी पुस्तक में उन्होने खुलासा किया है कि पूर्व के दिनों में जब केन्द्र में एनडीए की सरकार थी उस समय सरकार बचाने के लिये ‘कैश’ और महंगी गाडि़यों का तोहफा देकर सांसदों को अपने पाले में किया गया था। इस दौरान एक सांसद को केन्द्रीय मंत्री के पद से भी नवाजा गया।
वर्तमान में ‘युवा शक्ति’ नाम से गैर राजनीतिक संगठन चला रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन फिलहाल कांग्रेस की राजनीति से जुड़ी है लेकिन स्वंय पप्पू यादव का रूझान राजद की तरफ देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव से पूर्व उनकी पुस्तक में वर्णित तथ्यों के उजागर होने से बिहार की राजनीति में सनसनी फैल गई है। ‘देशद्रोह का पथिक’ में उन्होने खुलासा किया है कि वर्ष 2001 में केरल की राजनीति से सरोकार रखनेवाले कांग्रेस नेता पीसी थाॅमस को ‘खरीद-फरोख्त’ के फर्मूले पर राज्य मंत्री पद का तोहफा दिया गया था। इसके अलावे ‘सेक्स’ के शौकीन सांसदों को भी लड़कियां परोसकर उन्हे सुनियोजित तरीके से फांसा गया था। बिहार के शिवहर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व सांसद अनवारूल हक के बारे में उन्होने लिखा है कि एक करोड़ रूपये एवं एसेंट कार का दाना उन पर फेका गया था। इसके अलावे अररिया के पूर्व सांसद सुखदेव पासवान के भी खरीद-फरोख्त की राजनीति में संलिप्तता की चर्चा उन्होने की है। ‘देशद्रोह का पथिक’ के सर्वाधिक चर्चित प्रसंग के मुताबिक बिहार के किसी सुमित नामक व्यक्त्ति ने कई सांसदों को लड़कियों की सप्लाई की थी और लड़की को हथियार बनाकर ‘सेक्स’ के शौकीन सांसदों को ‘दबोच’ लिया गया था।
बहरहाल अभी ‘देशद्रोह का पथिक’ का विमोचन नहीं हुआ है और यह पुस्तक अभी आम लोगों को उपलब्ध नहीं हो सका है लेकिन पुस्तक के अंशों के मीडिया में लीक हो जाने से पूर्व सांसद द्वारा लिखित पुस्तक को व्यापक प्रचार-प्रसार मिल रहा है। जिन लोगों पर इस पुस्तक के द्वारा आरोप लगाया जा रहा है फिलहाल उन्होने अभी अपना मुंह नहीं खोला है। लेकिन कहनेवाले अभी से कहने लगे हैं कि ‘राजनीतिक लाभ-हानि’ को ध्यान में रखकर जेल में रहते हुए उन्होने इस पुस्तक की रचना की है। यहां बता दें कि आगामी 27 नवम्बर को ‘देशद्रोह का पथिक’ का विमोचन होना तय किया गया है जिसमें देश के कई दिग्गज राजनीतिक हस्तियों के अलावे कुछ प्रसिद्ध पत्रकार एवं साहित्याकार भी विमोचन समारोह की शान बढ़ायेंगे। विमोचन समारोह के लिये अभी तक जिन लोगों की स्वीकृति मिली है उसमें समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के अलावे कांग्रेस के जगदीश टाईटलर, लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान एवं वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के नाम शामिल हैं।