विज्ञप्ति
बिलासपुर। 7 सितंबर। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिलभारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि पद पर रहते हुए अंतिम व्यक्ति को न भूलना ही राजनीतिज्ञ की महानता होती है। वे यहां मप्र शासन में मंत्री रहे वरिष्ठ पत्रकार श्री बी.आर.यादव के लोक अभिनंदन और उन पर एकाग्र पुस्तक ‘कर्मपथ’ का विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे। पुस्तक का संपादन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया है।
मीडिया विमर्श पत्रिका द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्यअतिथि की आसंदी से संबोधित करते हुए श्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि श्री बीआर यादव से उनका संबंध 1977 से है पर उन्होंने भूल से भी किसी की कभी बुराई नहीं की। यादव एक नेता होने से ज्यादा समाजवादी हैं। पद पर रहते हुए भी उन्हें राज्य के अंतिम व्यक्ति की चिंता रहती थी। उनकी राजनीतिक सूझबूझ के सिर्फ वे ही नहीं, दूसरे नेता भी कायल रहे हैं। यही वजह कि मैं अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में हमेशा उनसे सलाह करके ही कोई कदम उठाता था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि श्री बी.आर. यादव का समूचा जीवन सादा जीवन और उच्च विचार का उदाहरण है। अपने कार्यकाल में वे एक अच्छे राजनीतिज्ञ रहे जो पक्ष-विपक्ष दोनों से तालमेल बिठाकर चलते थे। इसलिए वे सभी के चहेते हैं। उनका कोई विरोधी नहीं है। राजनीति के क्षेत्र में जो उचाईयां पहले थीं आज नहीं रह गयी हैं। किंतु श्री यादव जैसे नेताओं का अनुसरण करके आगे वह दौर वापस लाया जा सकता है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डा. चरणदास महंत ने कहा कि बीआर यादव उन नेताओं में हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के गठन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया के नारे को भी उन्होंने जीवंत बनाया।
अजातशत्रु हैं बी.आर.यादवः
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि यादवजी राजनीति के अजातशत्रु हैं। वे ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिनका न तो कोई पहले शत्रु था न आज है। राजनीति में उनका नाम ऐसे नेताओं में शामिल है, जिसकी प्रशंसा सभी करते हैं। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रवींद्र चौबे, विधायक धर्मजीत सिंह, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर, पत्रकार पं.श्यामलाल चतुर्वेदी, गोविंदलाल वोरा, पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, मप्र लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष विनयशंकर दुबे ने भी आयोजन को संबोधित किया। इस अवसर पर नगर की अनेक संस्थाओं ने श्री बीआर यादव को शाल-श्रीफल देकर सम्मान किया।
संजय द्विवेदी का सम्मानः
इस अवसर पर मुख्यअतिथि दिग्विजय सिंह ने कर्मपथ के संपादक संजय द्विवेदी को शाल-श्रीफल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा पुस्तक का संपादन कर संजय द्विवेदी ने एक ऐतिहासिक काम किया है। क्योंकि इससे राजनीतिक इतिहास का एक संदर्भ बनेगा जिससे आने वाली पीढियां इस दौर के नायक बीआर यादव को जान-समझ सकेंगीं।
क्या है पुस्तक मेः
श्री बी.आर. यादव पर केंद्रित पुस्तक ‘कर्मपथ’ में मप्र और छत्तीसगढ़ के अनेक प्रमुख राजनेताओं, पत्रकारों एवं साहित्यकारों के लेख हैं। इस किताब के बहाने 1970 के बाद और छत्तीसगढ़ गठन के पूर्व की राजनीति और सामाजिक स्थितियों का आकलन किया गया है। श्री बीआर यादव के बहाने यह किताब सही मायने में एक विशेष समय की पड़ताल भी है। पुस्तक में सर्वश्री मोतीलाल वोरा,दिग्विजय सिंह,कमलनाथ, बाबूलाल गौर, डा. रमन सिंह, चरणदास महंत, बृजमोहन अग्रवाल, चंद्रशेखर साहू, सत्यनारायण शर्मा, अमर अग्रवाल, अजय सिंह राहुल, रधु ठाकुर, मूलचंद खंडेलवाल, पं. श्यामलाल चतुर्वेदी, स्व. नंदकुमार पटेल, पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, रमेश वल्यानी, गिरीश पंकज,अरूण पटेल, उमेश त्रिवेदी, बसंत कुमार तिवारी, रमेश नैयर, धरमलाल कौशिक, धीरेंद्र कुमार सिंह, प्रो. कमल दीक्षित, स्वराज पुरी, सतीश जायसवाल, आनंद मिश्रा, बजंरग केडिया, राधेश्याम शुक्ला, परितोष चक्रवर्ती, डा. सुशील त्रिवेदी, हरीश केडिया, बबन प्रसाद मिश्र, डा. सुधीर सक्सेना, डा. सच्चिदानंद जोशी, आर.एल.एस.यादव, चंद्रप्रकाश वाजपेयी, बल्लू दुबे, प्रवीण शुक्ला, रूद्र अवस्थी, बेनीप्रसाद गुप्ता, डा. कालीचरण यादव, डा. रमेश अनुपम, विनयशंकर दुबे, उमाशंकर शुक्ल, मनोज कुमार, डा.श्रीकांत सिंह, डा.सोमनाथ यादव, बुधराम यादव आदि के लेख शामिल हैं।
पुस्तक का नामः कर्मपथ
मूल्यः 300 रूपए (सजिल्द), 150 रूपए( पेपरबैक)
प्रकाशकः मीडिया विमर्श,428-रोहित नगर, फेज-1, भोपाल-39