रमेश यादव
कल एक राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र खोला गया 1.95 एकड़ ज़मीन पर,60 करोड़ की लागत से 3 साल में तैयार हुआ. यदि आपको याद हो तो संविधान को बनाने में तक़रीबन 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे थे…66 साल में अब तक जो नहीं हो सका है,वो सब यहीं से होगा.सरकारी महकमा जो गोबर करेगा,उसे राष्ट्रीय स्तर के खेतों में मीडिया के पीठ पर लादकर फेंका जायेगा..तत्पश्चात उस पवित्र जमीन को ‘मीडिया वाशिंग पाउडर’ से धोया जायेगा …
जिनका पाउडर असरकारी नहीं होगा,उनका लाइसेंस ज़ब्त किया जायेगा …जब कोई सरकारी संत प्रवचन देगा,उसे एक साथ बैठकर 283 पत्रकार सुन सकेंगे.
लेकिन जब सरकारी चनाअमृत बँटेगा तब सिर्फ़ 60 लोग ही एक साथ पी सकेंगे…
इसमें 24 वर्क स्टेशन होंगे.एक लाइब्रेरी होगी,जहाँ सभी दस्तावेज़ होंगे.स्पेशल स्टोरी के रिफरेंस के लिए कहीं अन्यत्र जाने की ज़रूरत नहीं होगी…मीडिया लाउंज और कैफ़ेटेरिया होगा…जहाँ चांप के काफ़ी पीने की व्यवस्था होगी..यहीं पर भोजन भी चाभकर निकलिए ,ऑप्टिकल फ़ाइबर इंटरनेट,वेबकास्ट होस्टिंग,लाइव वेबकास्ट पर लग जाइए …कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है यहीं पर टीवी चैनल के लिए वीडियो फ़ीड आईटी,इंटरनेट,टेलीफ़ोन और ऑडियो- वीडियो वॉल भी है …
कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है,ढोलक इसलिए नहीं दी गयी है कि बेरस या कुरस बजाइए,सरकारी सुर में बजाना है …बजाना ही होगा …उसी धुन को आपके मालिकान भी सुनने के आदी हैं …
सो,
सावधान …!
सावधानी हटी दुर्घटना घटी…
© 2013 आत्मबोध
(एफबी से साभार)