मोदी की नकरात्मक छवि पेश करने के कारण बीबीसी को पड़ी फटकार

लंदन: भारतीय मूल की एक ब्रिटिश सांसद ने भारत के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी के एक कार्यक्रम की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि जो कुछ कहा गया, उसका कोई तुक नहीं था.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की करीबी और भारतीय प्रवासी मामलों में दखल रखने वाली प्रीति पटेल ने बीबीसी के महानिदेशक लॉर्ड टोनी हॉल को 19 मई को भेजे गए पत्र में 16 मई को प्रसारित बीबीसी न्यूजनाइट के बारे में मिली शिकायत पर ध्यान दिलाया है. बीबीसी ने 16 मई को घोषित भारत के आम चुनाव के परिणाम की व्यापक कवरेज की थी.

ब्रिटेन के एस्सेक्स में विथम क्षेत्र से सांसद प्रीति ने कहा है, “ब्रिटिश भारतीय समुदाय खास तौर से गुजराती मूल के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कही गई बातों से नाराज हैं.”

उन्होंने उल्लेख किया कि कार्यक्रम के प्रस्तोता यालदा हकीम ने कार्यक्रम की शुरुआत से ही मोदी को ‘एक विवादास्पद व्यक्ति’ बताया था.

प्रीति ने कहा है, “मोदी के राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें विवादास्पद व्यक्ति के रूप में पेश किया ही है, इसलिए बीबीसी को निष्पक्ष रहना चाहिए था, मगर उसने रिपोर्टिग के लक्ष्य से इतर मोदी के विरोधियों की बातों पर मुहर लगा दी.”

उन्होंने इस तथ्य का भी उल्लेख किया है कि यालदा हकीम ने कार्यक्रम में कहा कि मोदी के ‘हाथ खून से रंगे हुए हैं’ और वे ‘भारत के अत्यंत विभाजनकारी राजनेता’ हैं.

कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद प्रीति ने लिखा है, “मोदी ने दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक जनादेश शांतिपूर्ण और पेशेवर तरीके से प्राप्त किया और उनकी पार्टी पूरे भारत में विजयी रही व सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गई. इस बिंदु का प्रस्तोता ने जिक्र नहीं किया.”

उन्होंने यह जिक्र भी किया कि कार्यक्रम को वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों में मोदी की कथित संलिप्तता पर केंद्रित किया गया था, वह भी ब्योरा दिए बगैर.

प्रीति पटेल ने बीबीसी महानिदेशक का ध्यान कार्यक्रम के परिचयात्मक हिस्से की तरफ भी दिलाया जिसमें कहा गया कि ‘भारत ने अपने सपनों को एक जनसंहार करने वाले को मुख्य चरित्र के रूप में चुनकर उसके सपने में एकाकार कर लिया.’

उन्होंने कहा है कि जब तक किसी आरोप का सबूत नहीं हो तब तक इस तरह कीचड़ उछालना बीबीसी के लिए उचित नहीं था.

(एजेंसी/एबीपी)

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