विभांशु दिव्याल
मुंबई वाले राज ठाकरे और बनारस की मीडिया वाले राज ठाकरे, अलग अलग प्रान्तों की मिटटी से बने हुए लेकिन सोचने का तरीका एक सामान। बनारस में ‘तोहार टीवी’ के मालिक ‘पतंग सिंह’ से लेकर ‘इंडियाना न्यूज़’ के ‘दीमक चौरसिया’ तक के पीआरओ बैठे हुए हैं। इन पीआरओ के घर पैदा हुआ कोई भी बच्चा बेरोजगार नहीं रहता। अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित ,रखने के लिए पीआरओ समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों में ‘एक’ जगह बचा के रखते हैं, ताकि जब इनका बच्चा ‘नालायक’ साबित हो तो उसे ‘मीडियाकर्मी’ बनाया जा सके।
राज ठाकरे की कुर्सी के सबसे बड़े दावेदार ‘तोहार टीवी’ के पूर्व ‘ब्यौरा चीफ’ ‘क्रिस डूबे’ हैं जिन्होंने ‘छनन-मनन’ को भी पत्रकार बना दिया। अगर आप इनकी बिरादरी से ‘बाहर’ के हुए तो आपका सारा ‘टैलेंट’ जूते चप्पलों को सिलवाने में ही ‘दी एंड’ हो जायेगा।
‘तोहार टीवी’ का ‘ब्यौरा चीफ’ बनने के बाद भी इन ‘ज्ञानी’ पुरुष को अपनी ई मेल आई डी बनाने का ‘सहूर’ नहीं था। ये अपनी एजेंसी के लिए इतने वफादार थे कि ‘तोहार टीवी’ की एक्सक्लूसिव खबरे भी चोरी से अपनी एजेंसी ‘बीएनआई’ को भेज दिया करते थे। इन लोगों के कुनबे को अगर ‘जिला’ भी घोषित कर दिया तो इनके साथ अन्याय होगा। इनका नेटवर्क देवरिया से लेकर पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है। हमेशा ‘अंगूरी’ नशे में रहने वाले ये ठाकरे ‘अजेय’ हैं। इन लोगों के रहमों करम पर पलने वाले कुछ वफादार आज ‘ब्यौरा चीफ’ से लेकर ‘स्टापर’ तक हैं, जिन्हें अपने ‘गुरु घंटालों’ की तरह ‘टाइपिंग’ तक का ‘सहूर’ नहीं है। अपनी ‘पीस टू’ दूसरे राज्यों से इम्पोर्ट करने वाले ये ‘गुरु घंटाल’ आज भी एक पीस टू करने में 63 रिटेक लेते हैं।
दूसरे ‘गुरु घंटालों’ का सच अगले एडिशन में.…।
और हां बाबू मोशाय, अभी तो हम आपको तद्भव तत्सम सिखा रहे थे, जिस दिन आपको पत्रकारिता सिखाने लगेंगे उस दिन आप वापस बंगाल को एक्सपोर्ट हो जायेंगे।