वेद उनियाल,वरिष्ठ पत्रकार
उत्तराखंड में पत्रकार गजेंद्र रावत ने 4 मई 2015 को एक लेख लिखा था कि भविष्य की भाजपा कौन है। यानी उत्तराखंड में भाजपा के सिरमौर नेता कौन कौन है। जब यह लेख लिखा गया था कांग्रेस में शायद विभाजन नहीं हुआ था। लेकिन तलवारें म्यान से बाहर निकली दिखने लगी थी।
आज लगभग एक साल बाद ये सवाल जस का तस है। कहा भी जा रहा है कि कांग्रेस को तो चेहरा तलाशना ही नहीं। पर भाजपा का कौन। क्या वी सी खण्डूडी, क्या कोश्यारी क्या निशंक। और क्या कांग्रेस से आए नौ दस बागी में कि उनकी चुलुना मेोह्हमत होगी।
सवाल जिस तरह से सामने आते हैं उनके उत्तर भी मिलते हैं। वी सी खण्डूडी और कोश्यारी एक अवस्था में हैं। अब राज चलाने जैसे विकट जिम्मेदारी शायद ही उनमें सौंपी जाए। निशंक के पास राजनीति का आगे काफी समय है और सर्व स्वीकार वाली स्थिति में तो वह फिलहाल नहीं। उनकी कुछ भूलें उनका रोढा बन जाती है। पिछले तेवर में आने के लिए उन्हें पहले अपने आप से संवाद करना होगा। उस समय गजेंद्र राणा ने अपने लेख में नई भाजपा को रेखांकित किया । गांव बदले नहीं. हालात जस की सच।
नई भाजपा यानी क्या भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी, त्रिवेंद्र रावत या हरक सिंह। इतना जरूर है कि भाजपा को अपनी चुनौतियों के साथ पार पाना होगा। समय बताएगा कि उत्तराखंड में भाजपा नई टीम के सथ बदले हुई नजर आती है या उसकी कसौटी में पुराने तुर्जेंबेकार ही भरोसे में होंगे। इसलिए यह लेख फिर कई चीजों को सामने रखता है। एक राष्ट्रीय पार्टी के नए संभावित तेवर को दिखाता है। फिर सवाल यह भी कि नए चेहरे को स्वीकारने की स्थिति में कौन कौन होगा। कौन बगावत की ओर जाएगा। कौन समय को स्वीकारेगा। झलक कई है।
हाल में यूगांडा से लौटे निशंक पोखरियाल जब एअर पोर्ट पर आए तो कुछ नारे इस संभावित नेतृत्व की आस में भी थे। यानी पैंतरे हर तरफ से चलें जाएंगे। कोई पीछे नहीं रहना चाहेगा। क्या उत्तराखंड भाजपा के अंदर एक नई भाजपा की जरूरत है। क्या पुराने चावलों को नकारा जा सकता है। क्या सचमुच नई संभावित भाजपा इतनी तेवर के साथ है कि नई जिम्मेदारियों को आगे बढ कर स्वीकार करे। बहुतसे झंझावात है। फिलहाल रोचक चर्चा यही है कि हरीश रावत तो चेहरा होंगे ही भाजपा से कौन …
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