Tough Woman किरण बेदी को आजकल टीवी पर बोलते देख दुख होता है. ढीली-ढाली बॉडी लैंग्वेज और आत्मविश्वास का नितांत आभाव. कल एबीपी न्यूज पर एक डिबेट में जब अभिसार, किरण बेदी से पूछ रहे थे कि -आप- को क्यों बीजेपी से हाथ मिलाना चाहिए तो किरण बेदी बोल नहीं पा रही थीं.
उनकी बातों में authority & conviction नहीं था. बस, वह किसी तरह अपनी बात को justify करने की कोशिश कर रही थीं और इस क्रम में टीवी स्टूडियो में मौजूद लगभग पूरा पैनल उनसे असहमत दिखा.
मुझे यही बात समझ नहीं आती कि अन्ना के आंदोलन में key role play करने वाली किरण बेदी ने आखिरकार इतना बचकाना सुझाव -आप- को क्यों दिया?? क्या हड़बड़ाहट थी?? या फिर ये एक पूर्व साथी के आगे निकल जाने पर हुई छटपटाहट थी.
(स्रोत-एफबी)
Media is smart in India. Kiran bedi or ram dev and others who dare to speak against corruption by big and powerful people naturally scared also because of power of government machinery to create at least some mental torture.
Their natural inclination to safeguard themselves should not be misunderstood or considered childish.