–देहरादून से चन्द्रशेखर जोशी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
विजय बहुगुणा सरकार ने पूरा जोर नैशनल मीडिया को मैनेज करने पर लगा दिया, इसमें 50 सीआर का बजट खर्च किये जाने की चर्चा है. विजय बहुगुणा सरकार ने पूरा जोर नैशनल मीडिया को मैनेज करने पर लगा दिया, इसमें 50 सीआर का बजट खर्च किये जाने की चर्चा है,
उत्तराखण्ड की आपदा की गूंज पूरे देश तथा विदेश में है, तथा इसके लिए उत्तराखण्ड का आपदा प्रबन्धन मंत्रालय तथा चार धाम यात्रा समिति व मुख्यमंत्री की आलोचना पूरे देश में हो रही है, उत्तराखण्ड की आपदा का विपरीत असर कांग्रेस पर पडना तय माना जा रहा है, वहीं मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी सलामत रहने की चिंता सताने लगी है,
इसके लिए नैशनल मीडिया को मैनेज किये जाने का खेल शुरू किया गया, आपदा के लोग को राहत मिले या न मिले, इससे कोई फर्क नहीं पडता, परन्तु नैशनल मीडिया को काबू में किया जाना जरूरी था, दिल्ली से छन कर आ रही जनचर्चा के अनुसार इसके लिए भारी बजट को व्यय किया गया, 50 सीआर में नैशनल मीडिया मैनेज किये जाने की चर्चा है जिसमें 2 सीआर चैनलों को दिये गये, जिसमें 5 प्रमुख है वहीं एक चैनल के तेजतर्रार सम्पादक को व्यक्तिगत अलग से दिया गया, इसके बाद स्थानीय स्तर पर अलग से मैनेज किया गया, और इनके मौजमस्ती के लिए हैलीकाप्टर का इंतजाम अलग से हुआ. इसके बाद चैनलों का रूख ही बदल गया, भयावहता को कम किये जाने लगा, तथा चैनलों ने अपने रिपोर्टरों को गांवों की सडकों की ओर भेज दिया तथा जहां नुकसान कम हुआ है, उस ओर रूख मोड दिया, जहां आनन फानन में मदद पहुंचायी गयी. वहां रूख मोडा गया, यानि नैशनल मीडिया राहत पैकेज पाकर डिफेंस में आ गया, इसका एक उदाहरण तब सामने आया जब दीपक चौरसिया जी डिबेट में राहुल गॉधी की उत्तराखण्ड यात्रा में डिफेंस में नजर आये, इंडिया न्यूज चैनल के दीपक चौरसिया जी ने अपने तेज तर्रार स्वभाव से अलग पहचान बनायी है, इसी से भयभीत विजय बहुगुणा के मीडिया मैनेजमेंन्ट ने इनको अलग से राहत दिये जाने की चर्चा दिल्ली में है, दिल्ली से देहरादून पहुंची जनचर्चा के अनुसार कांग्रेस हाईकमान का गंभीर रूख देखते हुए सकते में आयी विजय बहुगुणा सरकार ने पूरा जोर नैशनल मीडिया को मैनेज करने पर लगा दिया, इसमें 50 सीआर का बजट खर्च किये जाने की चर्चा है.
इसके बाद नैशनल मीडिया का रूख ही डिफेंस वाला हो गया, सत्य छुपाओ, मिशन शुरू हो गया. लाशों की घाटी में हैलीकाप्टर से उडते चैनलों के प्रतिनिधि देवभूमि में आकर कुछ दूसरा ही खेल खेलने लगे. चैनलों में डिबेट शुरू करा दी गयी. भयावह वाले स्थानों को कैमरों की नजरों से ओझल रखा जाने लगा है. अनगिनत उतराखंड के निवासियों का भी अब तक न तो पता चला हे और न ही कोई उनकी भी सुध ले रहा है. यह मुददा चैनल दबाने व छुपाने में लगे हैं क्योंकि वह मैनेज हो चुके हैं, अब उनको लाशों से क्या मिलेगा.
केदार वैली के 101 गांवों का अता पता नहीं है तो बदरीनाथ क्षेत्र के भी कई गांवों तक का पता नहीं है, परन्तु यह न्यूज टीवी चैनलों से गायब है, अनगिनत उतराखंड के निवासियों का भी अब तक न तो पता चला हे और न ही कोई उनकी भी सुध ले रहा हे .कर्णप्रयाग से नारायण बगड़, देवाल, थराली और गवालदम तक की कहानी एक जैसी है. हर कस्बे और गांवों में रहने वाले लोग प्राकृतिक आपदा की मार से पीड़ित है. अलकनंदा, पिंडर और मंदाकिनी नदियों के किनारे बसे गांवों में मकान मलबे के ढेर में बदल गए हैं. अब इन गांवों को फिर से बसाना एक बड़ी चुनौती है.श्रीनगर में अलकनंदा ने तबाही मचाई. उत्तराखंड की हर नदी तबाही मचा रही थी. मंदाकिनी नदी ने केदारघाटी में और अलकनंदा नदी ने बदरीनाथ से श्रीनगर और उससे आगे तक भारी तबाही मचाई.परन्तु चैनल इस तरह की कोई भी फुटेज या खबर दिखाने से गुरेज कर रहे हैं,
जिससे कुपित होकर कुदरत ने रौद्र रूप अपनाया था, वही कार्य अब नैशनल मीडिया करने लगा है,
वहीं दूसरी ओर फेसबुक में विनय उनियाल का कमेन्ट आया है कि आज प्रात:आपदा पीडितो लोगो के परिजनों का धैर्य भी जवाब दे गया। सुबह सुबह एक पत्रकार की जमकर धुनाई कर डाली और एक वाहन आग के हवाले कर दिया।