दर्शक की नज़र से : नदीम एस.अख्तर
न्यूज चैनल -आज तक- को बधाई. अभी चैनल पर आधे घंटे का स्पेशल शो -विशेष- आ रहा है जिसमें सचिन को भारत रत्न दिए जाने पर छिड़े घमासान का पोस्टमार्टम है. ध्यानचंद को भारत रत्न क्यों नहीं मिल सका, यह भी दिखाया जा रहा है. अच्छा लगा कि देश के अग्रणी न्यूज चैनल ने इस विषय को उठाया. प्रोग्राम का नाम भी अच्छा रखा है- महा “भारत रत्न”.-आज तक- को बधाई.
आज तक- की खबर के मुताबिक खेल मंत्रालय ने दादा ध्यानचंद और सचिन को संयुक्त रूप से भारत रत्न देने की सिफारिश की थी लेकिन आखिरी गोल प्रधानमंत्री कार्यालय ने किया. उसने दादा ध्यानचंद को नजरअंदाज करके सिर्फ सचिन तेंडुलकर को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया.
अब ये स्पष्ट नहीं कि पीएमओ ने किसकी सलाह पर ये किया.देख लीजिए ये देश कैसे चलता है. राजा/रानी जिसे चाहें, उसे नवाज दें. किसकी हिम्मत है सवाल उठाए. जय हो.
यह बहुत ही गलत हुआ । सचिन ने वाकई ऐसा किया जो प्रसंशनीय है । वो भारतरत्न के लिये योग्य भी है । परन्तु प्रश्न यह उठता है कि क्या खेलजगत मैं सिर्फ वही योग्य थे? दादा ध्यानचंद जी ने भारतीय हॉकी को उस ऊंचाई पर ले गए जो ना तो कोई कर सका है और न कोई कर पायेगा । सचिन ने भी कुछ ऐसा ही किया भारतीय क्रिकेट के लिए । अगर सचिन को भारत रत्न दिया गया तो देनेवाले महान आत्माओं को कम से कम इतनी समझ रहनी चाहिये कि भारत मैं सिर्फ एक क्रिकेट ही खेल नहीं है बल्कि अनेकों खेल है । सिर्फ एक की प्रशंसा करना और दूसरों कि अवहेलना निंदनीय है । हमें इन सबों से ये आशा नहीं थी । मैं तो यहाँ तक कहना चाहूंगा कि शायद हमें इन सबों से न्याय की आशा ही नहीं करनी चाहिए । जो हुआ वो हमारे इतिहास के साथ अन्याय हुआ ।