विनीत कुमार
कनाट प्लेस की खिलोने की इस दूकान से जब भी गुजरता हूँ, मन में एक ही सवाल उठता है- रिलायंस के साये में ये दूकान आखिर कब तक इस बात का दावा कर सकेगी कि ये भारत में खिलौने की सबसे पुरानी दूकान है..कहीं किसी दिन रिलायंस को ये लग गया कि ये कैसे हो सकता है कि लोग फिल्म देखें हमारे यहाँ और उनके बच्चे खिलौने खरीदें किसी और की दूकान में ? क्यों न इस हिस्से को ऊपर से नीचे खिलौने की ही दूकान कर दी जाये..
एक तो खिलौने की दुकानें तेजी से माल्स और चेन आउटलेट में घुस गये हैं, ऊपर से अगर आप उनमे जायें भी तो लगेगा कि आप हथियार की डमी बेचनेवाली दूकान में आ गये हों..जैसे लोग अच्छी अंग्रेजी और समझ के लिये भले ही मंहगे पब्लिक स्कूल में भेजते हों लेकिन चाहते हैं कि मनोरंजन और खेल के नाम पर वो अपराध ही करे. लेकिन आप इस दूकान में जाते हैं तो अभी भी कुछ ऐसे खिलौने मिल जायेंगे जिनमे मासूमियत बची हुयी है..#दरबदर दिल्ली

(स्रोत-एफबी)