राम लीला के सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट पर हाई कोर्ट में पीआईएल

आइपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने 15 नवम्बर को रिलीज होने वाली फिल्म राम लीला को सिनेमेटोग्राफर एक्ट 1952 के तहत सेंसर बोर्ड द्वारा दिए गए प्रसारण प्रमाणपत्र को निरस्त किये जाने हेतु इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में याचिका दायर किया है.

याचिका के अनुसार संजय लीला भंसाली की फिल्म का नाम राम लीला है जबकि इसका उस पवित्र धार्मिक कार्यक्रम से कोई भी वास्ता नहीं है. यह फिल्म अपने आप को गोलियों की रासलीला कहती है. इसके आधिकारिक ट्रेलर में कई गंदे डायलौग और अन्तरंग दृश्य हैं जिनका रामलीला शब्द से कोई सम्न्बंध नहीं है और जो हिन्दुओं की भावनाओं को सीधे तौर पर अपमानित करता है.

अमिताभ और नूतन ने कहा है कि श्री भंसाली ने जानबूझ कर अपने फिल्म को बिना किसी आवश्यकता के ऐसा नाम दिया है जिससे हिन्दुओं की भावना अपमानित हो रही है. अतः यह धारा 295ए, आईपीसी के अंतर्गत दंडनीय अपराध होने के कारण इस फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा सिनेमेटोग्राफर एक्ट की धारा 5बी में दिया गया प्रसारण प्रमाणपत्र विधिविरुद्ध है. उन्होंने इस प्रमाणपत्र को निरस्त किये जाने और फिल्म के प्रसारण पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की है.

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