न्यूज चैनलों की खबर फैलाने, लिंक साझा करने से पहले क्रॉस मीडिया रीडरशिप की आदत डालिए. परस्पर विरोधी मिजाज के चैनल को एक बार देख आइए. नहीं तो आपका बेकार में 10-12 एमबी डेटा पैक रांगा( बर्बाद) होगा और हमें समझते देर नहीं लगेगी कि आप भी भसड़ जमात में से ही हो.
उनका कुछ नहीं बिगड़ने जा रहा है. जाकर हाजिरी लगा आएंगे या फिर किसी और मामले में आपको-हमको राष्ट्रद्रोही साबित करने में जुट जाएंगे. हमारे-आपके रिश्ते, बीच की तरलता और समझदारी वाली बातचीत की संभावना खत्म होती चली जाएगी. इस देश में लोकतंत्र सबसे पहले हमारे-आपके बीच खत्म होगा. देश की बारी तो बहुत बाद में आती है.
असल में न्यूज चैनल के अधिकांश लोग एक ही साथ दस नौकरी करते हैं. चैनल की, फेसबुक की, व्हॉट्स अप की, ट्विटर की, इस्टाग्राम की, टीटीएम की, पीआर एजेंसी की, , इमोशन्स केटरिंग की, प्रोपेगेंडा की, राजनीतिक दलों के वॉररूम की और किसिम-किसिम की डीलिंग की तो है ही.
ऐसे में वो कौन सी खबर किस नौकरी के तहत दिखा-बता रहे हैं, आपको पता करने में मुश्किल होगी. क्रॉस मीडिया रीडरशिप की आदत डालने से काफी कुछ फर्क कर पाएंगे.
(मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से)