एंकर श्वेता सिंह आपने संवाददाता राहुल कँवल को उल्लू समझ रखा है क्या…SoSorry!

शुभांकर

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महातूफान की महाकवरेज. आजतक और बाकी के चैनलों की महाकवरेज पर कुछ टिप्पणियां :

1.आजतक समेत कई समाचार चैनलों के एंकर आज एकदम ‘तूफानी’ हो गए हैं. महातूफान का असर कुछ ऐसा हुआ है कि भाई लोग आयं – बायं बक रहे हैं.

2.आजतक पर श्वेता दीदी ने आज कमाल कर दिया, एंकर महोदया अपने संवाददाता राहुल कँवल के हिलते-डुलते-उड़ते बालों से महातूफान की भयंकरता का अनुमान लगाने के लिए कह रही थी. मौसम विभाग नोटिस कर ले. आगे से महातूफान आए तो आजतक के राहुल कँवल को ही खड़ा कर दे. तूफान की स्पीड का अंदाज़ा भी मिल जाएगा और लाइव कवरेज भी हो जाएगी. ये बात और है कि राहुल बाल के साथ खुद भी उड़ जायेंगे …. SoSoSorry

3.महातूफान की महाकवरेज करते हुए महातेज चैनल ‘आजतक’ पर लगातार एक मझोले आकार के पेड़ को हिलते-डुलते हुए दिखाया जा रहा है. मानो कह रहा है कि इसी से अंदाज़ लगा लो महातूफान का. बीच-बीच में ब्लैक स्क्रीन दिखा देते हैं और फिर संवाददाता राहुल कँवल और एंकर महोदया श्वेता सिंह. यह कैसा महाकवरेज है महातेज चैनल?

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4. आजतक अपने संवाददाता ‘राहुल कँवल’ को ‘उल्लू’ बनाने पर तुला है. एंकर ‘श्वेता सिंह’ कह रही हैं कि हमें स्क्रीन पर सिवाए अँधेरे के कुछ दिखाई नहीं दे रहा. आप वर्णन करें. अब श्वेता दीदी को कौन समझाएं कि अँधेरा है तो उनकी तरह उनके संवाददाता को भी दिखाई नहीं दे रहा होगा. आखिर वे भी इंसान हैं उल्लू नहीं…. या फिर उल्लू ……..?

5.महातूफान से भी तेज हो गया है सबसे तेज चैनल आजतक. तूफ़ान के पल-पल की खबर बता रहा है. दर्शकों को चैनल का नया नाम रख ही देना चाहिए – महातक.

6.21 दिसंबर 2012 को दुनिया का आखिरी दिन नहीं होगा. इंडिया टीवी समेत तमाम चैनलों पर ये खबर खूब चलती रही. लेकिन यह दिन आया और चला भी गया. दुनिया कायम है. अब आज तूफ़ान आ रहा है तो उसे महातूफान का दर्जा देकर चैनल महाप्रलय की तरफ ही इशारा करने की कोशिश कर रहे है. डराकर न्यूज़ चैनल दिखाने की यह प्रवृति पुरानी है.

7.ब्रेक लेने से पहले आजतक के एंकर ‘देखते रहिये आजतक’ ऐसे कहते हैं जैसे कि दर्शकों ने उनका कर्जा खाया है. आप उल – जुलूल दिखाते रहिये और हम देखते रहे. दूरदर्शन का ज़माना समझ रखा है क्या?

8.Syed Faizur Rahman
फैलिन तूफान पर चैनलों के एंकरों ने चिल्ला चिल्लाकर जो ऊर्जा पैदा की है वो फैलिन तूफान से कहीं ज़्यादा है।

9.Jagadishwar Chaturvedi
फिलिन तूफान की खबरको भी सनसनी बनाने से हमारा मीडिया नहीं चूका । तूफान या चक्रवात की ख़बर सनसनी या भय की नहीं भरोसा पैदा करने की माँग करती है । सूचना देने की मांग करती है । कहाँ से लोग शिफ्ट किए गए और वे कहाँ रखे गए । कोई चैनल शिविरों की ओर नहीं गया । संवाददाता समुद्र किनारे खड़े रहे या होटल में खड़े होकर कवरेज भेजते रहे ।

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