अजीत अंजुम,मैनेजिंग एडिटर,इंडिया टीवी
मेरी भी दिली तमन्ना है कि भारत पाक को मुंहतोड़ जवाब दे…ऐसा जवाब दे कि वो कभी हमारे देश की तरफ नज़र उठाकर देखने की हिम्मत न कर सके ..पाक की कमर इतनी तोड़ दें कि हमारे कश्मीर में आतंकी भेजने और अपनी सरजमीन पर उन्हें पालने की हिम्मत न करे..पाक में पल रहे हाफ़िज़ / सलाउद्दीन /अज़हर /लखवी समेत उन तमाम आतंकियों को हमारे फौजी ऐसी मौत मारें कि कोई भी आतंकी अपना हश्र सोचकर सिहर उठे..चाहे 26/11 हो या पठानकोट हमला , चाहे दिल्ली और मुम्बई के बम धमाकों में बेकसूरों की मौत हो या फिर सेना पर हमला ..चाहे श्रीनगर में सीआरपीएफ के कमांडेंट की शहादत हो या उड़ी के जवानों की शहादत.. गुस्सा और आक्रोश मेरे भीतर भी उतना ही होता है , जितना आपके भीतर ..20 सालों से टीवी में काम करते हुए हर ऐसे मौके पर बीसों घंटे के बुलेटिन और सैकड़ों कार्यक्रम हमने बनाए हैं ..इतने सालों में देश के दुश्मनों की करतूतों और शहीदों को सलाम करने वाले पचासों घंटे के बुलेटिन की स्क्रिप्ट मैंने खुद भी लिखी है और अपने सहयोगियों को भी ये जिम्मेदारी देकर अपनी ड्यूटी निभाई है .. आपने सोशल मीडिया पर ललकारने वाली चंद लाइनें लिख दी , इसका मतलब ये नहीं कि आप देशभक्त और मैं देशद्रोही हो गया ..किसी शहीद के परिवार के आंसू देखकर मेरे भी आंसू निकले हैं ..अभी गया के शहीद की बेटियों की तस्वीरें देखकर मैं भी डिस्टर्ब हुआ ..दिन भर हम न्यूज़रूम में यही बात करते रहे कि इन आतंकियों और इनके आकाओं को गोलियों से छलनी कर देना चाहिए .. सीआरपीएफ के शहीद कमांडेंट के परिवार की तस्वीरें देखकर मैं भावुक भी हुआ और आक्रोश से तपा भी ..सरहद की हिफाजत के लिए शहीद हुए फौजियों के रोते- बिलखते परिजनों को देख मेरा भी खून खौलता है..मैं भी चाहता हूँ कि वो दिन आए ,जब देश के दुश्मनों को चुन चुनकर मार दिया जाए लेकिन ये मुमकिन कैसे होगा ? क्या फेसबुक पर ललकारने से ? क्या ट्वीटर पर खुद को सबसे बड़ा देशभक्त घोषित करते हुए युद्ध की वकालत नहीं करने वालों को गालियां देने से ? सोशल मीडिया पर मार दो -काट दो चिल्लाने से ? नहीं .युद्ध के आप पक्षधर हो सकते हैं , मैं भी हो जाऊं जरुरी नहीं ,क्योकि एक बार जब ये शुरू होगा तो कहाँ थमेगा, कोई नहीं जानता ..दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं ..हमारे यहाँ तो सोच समझकर फैसला लेने वाला लोकतांत्रिक सिस्टम भी हैं ,वहां तो सिरफिरों की जमात है ..दो दो शरीफ हैं , जिनका शराफत से कोई वास्ता नही…कई आतंकी ग्रुप हैं , जो भारत के दुश्मन हैं .
तो सवाल उठता है कि ईलाज क्या है ? पाक की नापाक हरकतों को रोकने का ऊपाय क्या है ? क्या अपने जवानों को यूँ ही शहीद होने दें ?चुपचाप देखते रहें ?
यक़ीनन नहीं ..लेकिन इसके लिए ज़रूरत है दूरगामी रणनीति की … सरकार के फौलादी इरादों की… पाकिस्तान को कूटनीतिक स्तर पर घेरने की ….अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियों को मजबूत करने और ऐसी प्लानिंग की कि पाक और पाकी आतंकियों के मंसूबे नाकाम हों…कश्मीर पर भी बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन फिर कभी.
ये सब मैं अपनी सफाई में लिख रहा हूँ क्योंकि मैं भी अपने देश से उतनी ही मुहब्बत करता हूँ ,जितना आप करते हैं ..हाँ, मैं युद्ध का पक्षधर नहीं ,क्योकि ये देशहित में नहीं ….और मुझे लगता है प्रधानमंत्री मोदी समेत जो लोग सरकार में हैं ,वो भी ऐसा ही सोचते होंगे …पाक का ऐसा इलाज हो कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे …