अर्जुन की सलमान छवि वाली फ़िल्म – तेवर

फिल्म रिव्यू - तेवर
फिल्म रिव्यू - तेवर

सैयद एस.तौहीद

फिल्म रिव्यू - तेवर
फिल्म रिव्यू – तेवर

अमित रविंद्रनाथ की फिल्म ‘तेवर’ तेलुगू ‘ओक्काड़ु’ की रीमेक है। मूल कहानी को नए सिरे से अमित व शांतनु श्रीवास्तव ने लिख उत्तर भारत का परिवेश दिया । कहानी आगरा-मथुरा की जमीन पर रखी गयी है। वैस यह कहानी उत्तर भारत में कहीं अन्य जगह की भी हो सकती थी । एक बाहुबली है। उसके दिल यानी रोज के गार्डन में एक लड़की प्रवेश कर जाती है। वह प्रोपोज करता है। लड़की मना कर देती है। और ड्रामा चालू हो जाता है।

मथुरा के बाहुबली गजेन्द्र की जोर-जबरदस्ती के बीच में आगरे का पिंटू शुक्ला उर्फ घनश्याम आ जाता है। फिर शुरू हुई बाहुबली व सलमान के फैन पिंटू के बीच तेवर की लड़ाई। अर्जुन कपूर के पिंटू एवं सोनाक्षी सिन्हा के राधा के प्यार को मनोज बाजपेयी के गजेन्द्र से मुकाबला करना है। तेवर के साथ प्यार का इजहार करना है। पिंटू कबड्डी प्लेयर है। मुकाबले के दौरान भी वह कबड्डी खेलने लगता है और गुंडों से तेवर में पूछता…’कबड्डी कबड्डी कबड्डी, किसकी मोड़ू गर्दन, किसकी तोड़ू हड्डी। आप इसमें बदलापुर की कबड्डी नही खोजे हां यूपी के गांव मुहल्ले नुक्कड़ की कब्बडी जरुर मिलेगी।

अर्जुन में मसाला के बादशाह सलमान का पूरा अक्स रचने की कोशिश हुई है। अर्जुन ने फिल्म में खुद को सलमान खान का फैन बताया है। वो बहुत हद तक सलमान खान के दीवानों बीच रसूख बनाने में सफल नजर आ रहे । मनोज बाजपेयी के गजेन्द्र ने फिल्म को नया आयाम देने के अच्छी मेहनत की है। अपने नए अंदाज से कहानी को फार्मूलों की बोरियत से बाहर निकालने में सफल हुए हैं । फिल्म में विषय-वस्तु के नजरिए से ख़ास नयापन नहीं नजर आ रहा ..प्रस्तुती में इस कमी को पूरा करने की भरपूर कोशिश आप देखेंग । नए कलाकारों की वजह से उत्सुकता बनी रहती है।

माना जाता है कि किसी हीरो को अगर दर्शक मसाला अदाओं में पसंद कर लेते हैं तो वो पॉपुलर हो जाता है। इस नजरिए से देखें तो ‘तेवर’ का लक्ष्य अर्जुन कपूर को पॉपुलर हीरो के तौर पर स्थापित करना लगेगा। जिस किस्म का पिंटू शुक्ला का किरदार रचा गया एक दम दबंग के सलमान खान माफिक उसके लिए एक दमदार विलेन भी चाहिए था। इस चीज को मनोज बाजपेयी ने पुरे तेवर के साथ पूरा किया है।

कुल मिला कर यह फ़िल्म मसाला फिल्मों की मांगो पर ठीक नजर आ रही। कहानी ब्रज की आधार भूमि पर घट रही इसलिए कहूंगा कि डायलागबाजी की तरह संगीत में ब्रज का तेवर थोडा होता तो मजा आ जाता। महाकरोड़ क्लब में फिर भी फ़िल्म का दावा हो सकेगा ? सलमान की तरह अर्जुन मास पोपुलर हो सकेंगे ? ब्रज की धरती से आई यह तेवरनाक कहानी वाकई तेवर वाली है? जवाब फ़िल्म बेहतर दे सके। इतना जरुर कहना चाहिए कि कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिकाओं पर खरा उतरने का भरसक प्रयास किया..लेकिन मनोज बाजपेयी का तेवर सबसे जुदा लगा। विलेन के रोल को भी परिपाटी से हटकर रखना खूब जानते हैं। अर्जुन कपूर के पिंटू शुक्ला ने सलमान की जेरोक्स कापी नही कर अच्छा काम किया है…लेकिन वो दबंग सलमान की तर्ज पर नहीं उतारे गए ? ज़रा उनके तेवर तो देखिए ! passion4pearl@gmail.com

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