सावजी भाई ने क्या जोरदार तमाचा रवीश कुमार के गाल पर मारा

प्राइम टाईम में सावजी भाई और रवीश कुमार
प्राइम टाईम में सावजी भाई और रवीश कुमार

जीतेन्द्र प्रताप सिंह

रवीश कुमार ..जितना शोषण वामपंथी नेताओ ने मजदूरों और कर्मचारियों का किया है उतना शोषण किसी ने नही किया होगा …

प्राइम टाईम में सावजी भाई और रवीश कुमार
प्राइम टाईम में सावजी भाई और रवीश कुमार

मित्रो, सूरत की कम्पनी हरेकृष्ण डायमंड के चेयरमैन सावजीभाई का इंटरव्यू देख रहा था … घोर वामपंथी चैनल एनडीटीवी पर .. इंटरव्यू लेने वाले थे रवीश कुमार … एक दो सवालों के बाद रवीश कुमार के अंदर का छुपा वामपंथीपना जाग उठा .और उन्होंने सावजी भाई ढोलकिया से पूछा “क्या आपने काल मार्क्स को पढ़ा है ? क्योकि मुझे लगता है आपने जरुर उन्हें पढ़ा होगा तभी आप मजदूरों के प्रति इतने संवेदनशील है.

ये सवाल सुनकर मै चौक उठा ..क्योकि एक राष्ट्रीय चैनल पर एक मशहूर एंकर और पत्रकार इतना बचकाना और घटिया सवाल क्यों पूछ रहा है … खैर … पक्के गुजराती जिन्हें गुजरात में सवाया गुजराती कहते है सावजी भाई ने जोरदार तमाचा रवीश कुमार के गाल पर मारा … खैर असली तमाचा तो नही मारा लेकिन चोट असली तमाचा ये ज्यादा लगी होगी क्योकि रवीश कुमार का शक्ल भी बता रहा था कि जोरदार तमाचा लगा है ..

सावजी भाई ने जबाब दिया ” ये मार्क्स कौन है ? माफ़ कीजियेगा कभी नाम सुना ही नही क्योकि मैंने सिर्फ चौथी क्लास तक की पढाई सरकारी प्राथमिक शाळा में की है .. फिर जिन्दगी के जद्दोजहद में जुट गया .हाँ मै रोज जिन्दगी और गरीबी की किताब पढ़ता हूँ”

फिर तुरंत ही रवीश कुमार धन्यवाद बोलकर भाग लिए ….

मित्रो, सच्चाई ये है कि ये वामपंथी ही गरीबो और मजदूरों के असली दुश्मन है … उन्हें भड़काकर हडताल करवाकर अपनी नेतागिरी चलाते हैं .. यूनियनबाजी करते है .. और खुद शानोशौकत की जिन्दगी जीते है …

मै जब मेरठ युनिवर्सिटी में एमबीए की पढाई करता था तब अपने एक मित्र जो एसएफआई से जुड़े हुए थे उनके साथ दिल्ली में मार्क्सवादी नेता हरकिशन सिंह सुरजीत से मिलने गया था .. मैंने अपनी आँखों से देखा की हरकिशन सिंह सुरजीत मर्सीडीज कार में चलते थे … मैंने सोचा की एक तरफ तो ये पूंजीवाद का विरोध करते है और पूंजीवादी देशो का खिलाफत करते है दूसरी तरफ पूंजीवादी देशो के प्रोडक्ट इस्तेमाल करते है … उस दिन से ही मुझे वामपंथियों से नफरत हो गयी … हलांकि मै चे ग्वेरा से बहुत प्रभावित रहा हूँ और उन्हें हीरो मानता हूँ …

इन वामपंथियो ने अहमदाबाद, कानपुर और मुंबई की मिलो में मजदूरों को मालिको के खिलाफ भड़काकर उन्हें बर्बाद कर दिया क्योकि मालिको ने तो दूसरा धंधा शुरू कर दिया लेकिन मिले बंद होने से लाखो मजदूर और उनके परिवार सडक पर आ गये.

(स्रोत-एफबी)

1 COMMENT

  1. इस खबर से किसी भी तरह सहमत नही हु। सर जी इंटरव्यू मेने भी देखा था। किसी भी तरह नहीं लगा कि ऐसा कुछ हुआ। रवीश कुमार ही एक मात्र ऐसा इन्सान निकला जिसने इतनी सादगी से उनका इंटरव्यू लिया । दोनों की बाते सुनकर दिल खुश हो गया।
    और एसी खबर इस प्लेटफार्म पर देख कर दुःख हुआ।

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