चैनल हेड निशांत चतुर्वेदी के अंदर जिंदा है रिपोर्टर

nishant india gate इंडिया गेट पर आंदोलनकारी. ऐसा आंदोलन जिसके बारे में कभी किसी ने सोंचा नहीं. कोई नेता नहीं. कोई नेतृत्व नहीं. अपने लिए कोई मांग नहीं.

संघर्ष एक अनजान लड़की के लिए, जिसके साथ दुष्कर्म हुआ. चैनलों की मुहिम रंग लायी और लोग इस कदर आन्दोलित हुए कि सरकार की चूल हिल गयी.

तब सरकार ने सरकार की तरह साम, दाम दंड, भेद का सहारा लिया . पानी की बौछार की, आंसू गैस के गोले छोड़े.फिर भी आंदोलनकारी न घबराए, न भागे तो डंडे बरसाए.

आंदोलनकारियों का साथ देते और कवरेज करते – करते कैमरे भी टूटे और रिपोर्टर भी फूटे. फूटे से मतलब चोटिल हुए.

पत्रकारों के लिए यह बड़ा अवसर था. खास कर युवा पत्रकारों के लिए जिनके कंधे पर आगे की ज़िम्मेदारी आने वाली है.

भविष्य के वही सिकंदर होंगे. उन्हीं में से एक निशांत चतुर्वेदी भी हैं.

 

निशांत चतुर्वेदी दर्शकों के बीच कोई नया नाम नहीं है. बतौर एंकर उनकी न्यूज़ स्क्रीन पर अपनी एक अलग पहचान है और दर्शकों से उनकी यह पहचान पुरानी है.

लेकिन आजकल वे नयी भूमिका में हैं. देश के पहले एचडी न्यूज़ चैनल न्यूज़ एक्सप्रेस के संपादक का जिम्मा भी संभाल रहे हैं. यानी एंकर के साथ – साथ संपादक भी.

संपादक के दृष्टिकोण से अभी वे युवा हैं और अनुभव बताता है कि कुछ चीजें जल्दी मिलने पर कई लोग अहंकारी हो जाते हैं. न्यूज़ इंडस्ट्री में खासकर ये होता है और फिर लोग सेलिब्रिटी की तरह व्यवहार करने लगते हैं.

उनका संपादकपन उन्हें अपने दर्शकों और आम लोगों से दूर कर देता हैं और सेलिब्रिटी स्टेटस के चक्कर में वे फील्ड रिपोर्टिंग से कतराने लगते हैं. इस लिहाज से निशांत को एक फील्ड रिपोर्टर की तरह इंडिया गेट से भाग – भाग कर रिपोर्टिंग करते देखना बढ़िया अनुभव था और जेहन में यही शब्द आये कि चैनल हेड निशांत चतुर्वेदी के अंदर अभी जिंदा है रिपोर्टर.

आश्चर्यजनक कि अन्ना आंदोलन को कवर करने के लिए जिस तरीके से न्यूज़ चैनलों के दिग्गज मैदानी रिपोर्टिंग के लिए निकले थे, उन दिग्गजों में से कई दिग्गज इस बार नदारद थे. महिला रिपोर्टर को भेज खुद न्यूज़ रूम से बस कंट्रोलर की भूमिका निभा रहे थे. ख़ैर जो आये वो इतिहास का हिस्सा बने और जो न आये, वो न्यूज़रूम के मूकदर्शक.

आशीष जैन की एक प्रतिक्रिया : न्यूज़ एक्सप्रेस देख रहा हूँ …निशांत सर राजपथ से लालपथ के गवाह है …भावुक क्षण ..रायसीना की सड़कों ने इससे पहले आम आदमी कभी चलने नहीं दिया ..एक मोंटाज के साथ लोगो को बिलखते हुए देख रहा हूँ ..हमें मारा जा रहा है …आंसू गैस ..यह पानी …शर्मशार है आज सब …माँ को फफकते हुए देख रहा हूँ …मुल्क की बेटी को इन्साफ चहिये ..आज कोई वापिस जाना नहीं चाहता ..इण्डिया गेट तुम खड़े रहना ..शायद तुम्हें वो तस्वीरे भी देखे जिन्हें तुम देखना नहीं चाहते हो ..24 घंटो की सुइयों के समझोतों के साथ हर चैनल तुम्हारे साथ है …आज पूरे देश को इन्साफ चहिये ..न्यूज़ एक्सप्रेस ने वाकई बेहतर दिखाया …हालात और सुइयों से समझोता नहीं किया ..आप सभी का अभिनन्दन .

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