संविधान की आठवीं अनुसूची में जल्द हीं शामिल होगी भोजपुरी – राजनाथ सिंह

संविधान की आठवीं अनुसूची में जल्द हीं शामिल होगी भोजपुरी - राजनाथ सिंह
संविधान की आठवीं अनुसूची में जल्द हीं शामिल होगी भोजपुरी - राजनाथ सिंह

संविधान की आठवीं अनुसूची में जल्द हीं शामिल होगी भोजपुरी - राजनाथ सिंह
संविधान की आठवीं अनुसूची में जल्द हीं शामिल होगी भोजपुरी – राजनाथ सिंह
विश्व भोजपुरी सम्मेलन की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ० अशोक कुमार सिंह और दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज सिंह भावुक के नेतृत्व में सम्मेलन का एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिला और उन्हें भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग के सम्बन्ध में एक ज्ञापन सौंपा।

राजनाथ सिंह ने प्रतिनिधि मंडल को भरोसा दिलाया कि भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सरकार जल्द ही उचित कदम उठाएगी।

डॉ० सिंह ने बताया कि सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि इग्नू, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय :बिहार:, बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय :मुजफ्फरपुर:, जयप्रकाश विश्वविद्यालय :छपरा:, मगध विश्वविद्यालय :बोधगया:, रांची विश्वविद्यालय झारखंड, एवं उत्तर प्रदेश के जौनपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीए से लेकर शोध तक भोजपुरी भाषा की शिक्षा दी जा रही है लेकिन प्राथमिक से लेकर इंटर तक इसके पाठ्यक्रम अभी कहीं भी शुरू नहीं हुए हैं।

विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज सिंह भावुक ने कहा कि लोकसभा में समय समय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये विभिन्न सांसद भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के प्रस्ताव ला चुके हैं। पिछली लोकसभा में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आश्वासन दिया था कि विधेयक लाकर इसे पारित करा दिया जाएगा लेकिन विधेयक नहीं लाया जा सका।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा यह ज्ञापन रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी सौंपा गया।

इसके बाद भोजपुरी समाज के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर जंतर- मंतर पर धरना भी दिया। इस दौरान कई वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया और कहा कि भोजपुरी वर्तमान समय में भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, ब्रिटिश गुआना, अफ्रीकी देशों, नीदरलैंड, सूरीनाम, त्रिनिदाद एंड टोबैको सहित 50 से अधिक देशों में बोली जाती है। गुआना, फिजी और सूरीनाम जैसे देशों में तो भोजपुरी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता भी मिल चुकी है लेकिन भारत में इसे वह सम्मान नहीं मिल पाया जिसकी यह हकदार है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन के राष्ट्रीय समन्वयक अपूर्व नारायण तिवारी ने कहा कि जब तक भोजपुरी को उसका उचित सम्मान नहीं मिल जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

सभा को मैथिली भोजपुरी अकादमी, दिल्ली सरकार के उपाध्यक्ष अजित दुबे, विश्व भोजपुरी सम्मेलन की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज सिंह भावुक , पत्रकार पद्मपति शर्मा, विजय विनीत, सुभाष सिंह, ब्रजेश राय, विजय प्रताप, के अरविंद, विद्युत प्रकाश आदि ने भी संबोधित किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.