एपिक चैनल के धारावाहिक ‘सियासत’ पर पत्रकार पुष्य मित्र की टिप्पणी

पुष्य मित्र, पत्रकार
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इन दिनों एपिक चैनल पर रात नौ बजे सियासत धारावाहिक का प्रसारण हो रहा है। यह धारावाहिक इंदु सुन्दरसेन की किताब ट्वेंटीएथ वाइफ पर आधारित है। कहानी नूरजहाँ के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। अकबर के दरवार और परिवार की साजिशों के किस्से नजर आते हैं।

जाहिर सी बात है कि एपिक चैनल का प्रोडक्शन होने की वजह से यह धारावाहिक स्टार प्लस और कलर्स पर चलने वाले ऐतिहासिक धारावाहिक की तरह न लाऊड है न तथ्यों से छेड़छाड़ करता है। बल्कि हर मुमकिन कोशिश वास्तविकता के करीब जाने की नजर आती है। 42 एपिसोड वाले इस धारावाहिक का एक एक दृश्य गंभीरता की मांग करता है। अकबर, जहांगीर, पाशा बेगम, मेहरुन्निशा उर्फ़ नूरजहाँ, अली कुली, मुराद, मन सिंह, अब्दुल रहीम खान खाना आदि हर किरदार पर मेहनत की गयी है और इनसे गुजरते हुए आप समझने की कोशिश करते हैं कि उस दौर की सियासत कैसी होगी।

बहरहाल, इन दिनों जो नादिरा नाम की एक रक्काशा का प्रकरण चल रहा है। दिखाया गया है कि इस रक्काशा से बादशाह अकबर अपने आखिरी दिनों में मोहब्बत करने लगे थे। बादशाह की नाराजगी का शिकार शहजादा सलीम उर्फ़ जहांगीर ने बस बदला लेने की खातिर नादिरा को अपने प्रेम के जाल में फ़ांस लिया ताकि अपने अब्बू को हर्ट कर सकें। बादशाह अकबर को जब यह पता चला तो संयत स्वभाव के इस हुक्मरान का खुद से नियंत्रण खत्म हो गया। उन्होंने नादिरा को भरपूर अपमानित किया और दीवारों में चुनवा दिया।

तो यही थी वह कहानी जिसे हमने फ़िल्म मुग़ले आज़म में देखा है। यह धारावाहिक यही बताता है कि शहजादा सलीम सिर्फ और सिर्फ मेहरुन्निसा उर्फ़ नूरजहाँ से प्रेम करते थे। हालाँकि वे उनकी बीसवीं बेगम बनीं।

(पत्रकार पुष्य मित्र के एफबी वॉल से)

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