यूपी के विधान चुनाव होने जा रहे हैं और मुझे बार-बार पंडित जवाहरलाल नेहरू याद आ रहे हैं।नेहरू के विचारों में जो ऊर्जा और स्पष्टता है वह मुझे बहुत आकर्षित करती है।नेहरू ने साम्प्रदायिकता के खिलाफ जो कुछ कहा था वह आज भी प्रासंगिक है,नेहरू ने कहा-
हम ऐलान कर चुके हैं कि हम हर जगह साम्प्रदायिक संगठनों से लड़ेंगे,चाहे वे मुसलमानों के संगठन हों या हिंदुओं के या सिखों के या किसी और के।साम्प्रदायिकता के साथ राष्ट्रवाद जीवित नहीं रह सकता।राष्ट्रवाद का मतलब हिंदू राष्ट्रवाद,मुस्लिम राष्ट्रवाद,या सिख राष्ट्रवाद कभी नहीं होता।ज्यों ही आप हिन्दू,सिख,मुसलमान की बात करते हैं,त्यों ही आप हिंदुस्तान के बारे में बात नहीं कर सकते।हरेक को अपने से यह सवाल पूछना होगाःमैं भारत को क्या बनाना चाहता हूं-एक देश,एक राष्ट्र या कि दस-बीस पच्चीस टुकड़ों-टुकड़ों में बंटा हुआ राष्ट्र जिसमें कोई ताकत न हो और जरा से झटके से छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर जाएं।हरेक को इस सवाल का जवाब देना है।अलगाव हमेशा भारत की कमजोरी रही है।पृथकतावादी प्रवृत्तियां चाहे वे हिंदुओं की रही हों या मुसलमानों की,सिखों की या और किसी की,हमेशा खतरनाक और गलत रही हैं।ये छोटे औरतंग दिमागों की उपज हैं।आज कोई भी आदमी जो वक्त की नब्ज को पहचानता है,साम्प्रदायिक ढंग से नहीं चल सकता।’
(प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार)