न्यूज चैनलों से साहित्य और कविता इस कदर गायब हो गयी है कि जब कभी कोई कविता की पंक्तियां पढ़ता है तो लगता है कि किसी दुर्लभ प्रजाति को अपनी बुलेटिन में शामिल कर रहा है. लिहाजा हमे वो अलग और सुकून देनावाला लगता है.
शुक्रिया पुण्य प्रसूनजी..आज आपको ऑपरेशन ब्लैक दिखाते हुए धूमिल याद आ गए..
आपका चैनल सबसे ज्यादा प्रोफेशनल होने का दावा करता है. इस प्रोफेशनल होने में कविता और साहित्य को दरकिनार करना भी शामिल है.
लेकिन आप जैसे थोड़े पुराने,प्रोफेशनली परफेक्ट लोग भी जब धूमिल, मुक्तिबोध,रघुवीर सहाय की कविता याद करते हैं तो एक तरह से नए लोगों को फिर से उस जमीन की तरफ संकेत करते हैं जहां साहित्य और कविता भी एक प्रोफेशनल चैनल के लिए अनिवार्य है.
(विनीत कुमार के एफबी वॉल से)
क्या है ऑपरेशन ब्लैक (सौजन्य – आजतक)
आजतक ने सरकार की सबसे बड़ी स्कीम में लगे कालाबाजारी के घुन का खुलासा किया है. स्कीम की रकम इतनी बड़ी है कि अगर उसे नंबर में लिखें तो आप नंबर गिनते रह जाएंगे. एक लाख 25 हजार करोड़ यानी सवा लाख करोड़ रुपये की खाद्य सुरक्षा योजना, जिसे ये सरकार अपनी सबसे बड़ी कामयाबी मान रही है. लेकिन इस योजना का काला सच आजतक ने सबके सामने ला दिया है.
देश में गरीबी खत्म होगी और देश में भूख मिटेगी जैसे नारों के साथ कानून बन चुका है और बोली लग चुकी है गेहूं 2 रुपया, चावल 3 रुपये किलो. संसद से लेकर सड़कों तक सरकार ऐलान कर चुकी है कि सवा लाख करोड़ की रकम खर्च की जायेगी और घर-घर तक गरीबों को गेहूं-चावल पहुंचाया जायेगा.
सरकार की ओर से यही दावा किया गया था कि छत्तीसगढ़ के घने जंगल हों या असम के दूर-दराज के पहाड़ या फिर राजस्थान का रेतीला इलाका. अब हर हिंदुस्तानी की भूख मिटाने के लिए गेहूं और चावल गोदामों में भरे जाएंगे. लेकिन इस साल के सबसे बड़े वादे का जमीनी सच आजतक सबसे सामने ले आया है.
सवाल उठता है कि…
#क्या वाकई गरीबों को 2 रुपये में गेंहूं मिल रहा है?
#क्या तीन रुपये का चावल उनके पेट में जा रहा है?
#क्या राशन की दुकानें उनकी भूख मिटा रही हैं?
#क्या गोदामों से गेहूं गरीबों तक पहुंच रहा है?
इन सवालों का जवाब जानने के लिए देश के किसी भी दूर-दराज के इलाके में जाने की कतई भी जरूरत नहीं है. ज्यादा दूर क्या जाना जिस संसद से ऐलान हुआ है उसी संसद से पांच किलोमीटर दूर दिल्ली के मायापुरी में कानून की धज्जियां उड़ती दिख रही है. मायापुरी में ही फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी एफसीआई का सबसे बड़ा गोदाम भी है.
मायापुरी का गोदाम एफसीआई के सबसे बड़े गोदामों से एक है. रोजाना यहां से अनगिनत ट्रक अनाज भर-भरकर राशन की दुकानों पर जाते हैं और फिर वहीं से 2 रुपये और 3 रुपये में गेहूं और चावल गरीबों तक पहुंचता है. लेकिन सच तो आप भी जान ही गए हैं.
आजतक के इस ऑपरेशन ब्लैक ने सरकार की अरबों रुपये की योजना की कलई खोल दी है. अफसरों और व्यापारियों के भ्रष्टाचार की हर घिनौनी तस्वीर उजागर हो गई है. ऑपरेशन ब्लैक ने खुलासा किया है कि कैसे देश के गरीबों के साथ कैसा खिलवाड़ हो रहा है.
सवा अरब लोगों के इस देश में कोई भूखा ना रहे, इसलिए सरकार ने सवा अरब करोड़ रुपये की स्कीम बनायी. संसद में वो कानून भी बन गया. लेकिन संसद से चंद किलोमीटर दूर इस कानून की धज्जियां उड़ गयी. जी हां, सरकार की नाक के नीचे दिल्ली में ही सरेआम गरीबों का राशन ब्लैक हो रहा है और वो भी सात गुने दाम पर.
दिल्ली के मायापुरी इलाके में एफसीआई का सबसे बड़ा गोदाम है. दिल्ली सरकार का गरीबों में बंटने वाला राशन का गेहूं इसी गोदाम में रखा जाता है. दिल्ली में इस गेहूं के रखवाले हैं खाद्ध एवं आपूर्ति मंत्री हारुन यूसुफ और इस गेहूं को गरीबों तक पहुंचाने का काम यूसुफ साहब के अधिकारी और कर्मचारी देखते हैं. गरीबों का हजारों टन गेहूं गरीबों के बजाय दलालों तक न पहुंच जाये इस निगरानी के लिए एनफोर्समेंट की एक भारी-भरकम टीम भी है. इंतजाम पक्के हैं कि एक रुपये की भी बेइमानी न हो, लेकिन कानून डाल-डाल तो चोर पात-पात की कहानी यहां चरितार्थ होती है.
सूत्रों के हवाले से आजतक को पता लगा कि गरीबों का हजारों टन गेहूं मायापुरी के सरकारी गोदाम से राशन की दुकान न पहुंच कर दिल्ली की बड़ी-बड़ी आटा मिलों तक जा रहा है. करोड़ों रुपये के इस खेल में पुलिस, अधिकारी और व्यापारी मिले हुए हैं. इसकी पड़ताल के लिए आजतक ने मायापुरी गोदाम से निकलने वाले राशन के ट्रकों का पीछा किया.
एफसीआई के गोदाम से निकला ट्रक नंबर DL 1M 1475 सरकारी राशन की दुकान के लिए रवाना हुआ, लेकिन बीच रास्ते में ही ट्रक ने अपना रास्ता बदल दिया. पश्चिमी दिल्ली के शक्ति नगर इलाके से ये ट्रक लॉरेंस रोड की तरफ मुड़ गया. वो लॉरेंस रोड जहां देश की बड़ी आटा मिलें हैं. लॉरेंस रोड में ट्रक एक बड़ी आटा मिल के पास रुका और गेहूं की बोरियां उतारना शुरू कर दिया. जो गेहूं की बोरियां गरीबों के लिए राशन की दुकान पर जानी थीं वो राशन की बोरियां गोल्डन फ्लोर मिल में चली गईं.
देश की सरकारी राशन व्यवस्था को कुचलता हुआ एक और ट्रक DL 1GB 4035 एफसीआई के गोदाम से निकला, लेकिन इस ट्रक ने भी बीच में अपनी मंजिल बदली और पहुंचा उसी प्राइवेट फ्लोर मिल में. एफसीआई से निकलने वाले एक और ट्रक DL 1G B 3953 ने भी अपना रास्ता बीच रास्ते में बदल दिया और सीधे लॉरेंस रोड जाकर रुक गया.
सरकारी कागजों पर इन सभी ट्रकों को गरीबों का पेट भरना था, लेकिन सच यही है कि ये ट्रक भी गरीबों का पेट काटने के लिए सरकारी गोदाम से निकले हैं. एक और शर्मनाक तस्वीर यह भी है कि गरीबों का गेहूं सड़कों पर ब्लैक हो रहा है. गरीबों का 2 रुपये का गेहूं सड़क पर 12 रुपये में ब्लैक होकर प्राइवेट मिलों में जा रहा है.
आज तक की पड़ताल हो ही रही थी कि ट्रक के मालिक शर्मा जी घबराते हुए मौके पर पहुंच गये. शर्मा जी का ट्रांसपोर्ट का काम है और ज्यादातर एफसीआई के गोदाम से राशन की दुकानों पर गेहूं इन्हीं के ट्रकों से जाता हैः इनके हर ट्रक पर केटीसी लिखा हुआ है जो पीडीएस के गेहूं सप्लाई करने के लिए कोड वर्ड है.
ज्यादातर ट्रक में शर्मा जी के ही चलते हैं और इनके ट्रक रास्ते में कहीं पकड़े न जाए इसके लिए इन्होंने ट्रक पर एक पहचान बना दी है. सभी ट्रक केटीसी के नाम से चलते हैं और यही इनकी पहचान है. शर्माजी का ये कोड इतना असरदार है कि इनके ट्रकों को पुलिस भी हाथ नहीं लगा सकती. शर्माजी को पुलिस का भी कोई डर नहीं है.
शर्मा जी ने बताया कि मिलों में जाने से पहले बोरियों पर लगी सरकारी मुहर हटा दी जाती है. शर्मा जी यहीं नहीं रुके उन्होंने बातों-बातों में बताया कि राशन के गेहूं के बिना कोई भी आटा मिल ज्यादा दिनों तक चल ही नहीं सकती.
ट्रक नंबर-HR 55 E 1145 ये ट्रक भी एफसीआई के मायापुरी गोदाम से निकला और पहुंच गया सीधे लारेंस रोड की एक और फ्लोर मिल में. इस मिल का नाम हाथी ब्रांड फ्लोर मिल है. हाथी फ्लोर मिल में पहुंचे सभी बोरों पर पीडीएस की मुहर लगी हुई है. और ये गेहूं भी सरकारी राशन की दुकान पर उतरना था, लेकिन खुलेआम गरीबों का ये गेहूं आटा मिल में उतर गया.
संसद में सस्ते राशन के लिए ऐतिहासिक कानून बनाया जा रहा है और संसद से कुछ मील दूर पर इसी कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. कैमरा सच दिखाता है और खूफिया कैमरा सबसे कड़वा सच. आज तक के खुफिया कैमरे ने सब कुछ साफ-साफ दिखा दिया है.