वर्तिका नंदा
भारत-पाक सीमा पर जो हो रहा है, उसकी रिपोर्टिंग जरूरी है पर ऐसा करते हुए पत्रकारों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखना होगा। ऐसा कई चैनलों में होता रहा है कि जब खबर अवार्ड लायक लगे तो स्टार रिपोर्टर या अपने चहेते रिपोर्टर को भेज दिया जाए और वे पीटूसी कर लौट आएं और जब काम मलाई मिलने लायक न हो तो उन्हें भेज दिया जाए जिनके होने या होने से किसी को फर्क न पड़े।
रिपोर्टिंग के नाम पर मीडिया मालिक पत्रकार की जान को जोखिम में डालने का परहेज कर सकें तो अच्छा। पत्रकार छोटा हो या बड़ा- सबकी जान बेशकीमती है। शहीद हुए या बुरी तरह पिट कर आए पत्रकार को याद करने का समय मालिकों के पास अक्सर नहीं होता। @fb
(संदर्भ – आज एक टीवी चैनल पर दहशत, सर्दी और घबराहट से भरे एक पत्रकार को देखने के बाद मैनें यह लिखा है)