सर्जिकल हमले ने भक्तों का जोश दूना कर दिया है। पाकिस्तान के कलाकारों को वापस उनके वतन भेज दिया गया है। कला-साहित्य को फ़ौज़ी कार्रवाई में न घसीटने की बात करने वालों को सबक़ दिया जा रहा है। अटलजी ने बांग्लादेश आज़ाद कराने के लिए इंदिरा गांधी को दुर्गा कहा था। सर्जिकल कार्रवाई के लिए मोदी का चेहरा शेर की मूरत में ढाल दिया गया है – पल में शेर पल में मोदी। सोशल मीडिया पर अखंड भारत का पसरता वीडियो फिर चल पड़ा है। ज़ाहिर है, इन लोगों में अगला क़दम बढ़ने की गहरी आस है। न बढ़ा तो प्रधानमंत्री को उकसाने वाले चुनावी वीडियो शायद फिर चल पड़ेंगे।
इस बीच ज्योतिषियों ने तो महायुद्ध की भविष्यवाणी ही कर दी है। जल्द होगा, उनका कहना है। मैं ज्योतिष को नहीं मानता। फिर भी सहम गया हूँ। मेरी पैठक (स्टडी के लिए बैठक की तर्ज़ पर शब्द कैसा रहेगा?) में नपढ़ी किताबें और जलसाघर (होम थिएटर) में नदेखी फ़िल्में कब से मेरी बाट देखती हैं। कल गांधी जयंती पर उसी रुचिकर काम में लगता हूँ। युद्ध के बादल दिखाई दें तो मैसेज बॉक्स में अपनी इत्तिला दीजिएगा, फ़ोन तो शायद तब काम न करें (जियो के बारे में नहीं कह सकता, शायद वे काम करें!) … जय हिंद।
(ओम थानवी के फेसबुक वॉल से)