प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी-
अरविन्द केजरीवाल -राहुल गांधी में एक चीज साझा है दोनों में संवाद करने,सवालों का सामना करने और उत्तर देने की आदत है,लेकिन नरेन्द्र मोदी में संवाद करने की आदत नहीं है,इसके विपरीत उनमें आदेश देने की आदत है और इससे लोकतंत्र क्षतिग्रस्त होता है।संवादहीनता मोदीजी की व्यक्तिहीनता और हीनग्रंथि की भी सूचक है।
लोकतंत्र संवाद से समृद्ध होता है। नेता-मंत्री-सांसद या पीएम के भाषण से नहीं। नेता के शामिल होने से दलबल समृद्ध होता है,मीडिया समृद्ध होता है।
संवाद के लिए लोकतांत्रिक विवेक और लोकतांत्रिक आचरण का होना पहली शर्त्त है। जिस नेता को संवाद करना है उसके पास लोकतांत्रिक विवेक न हो तो संवाद संभव ही नहीं है।यही वह परिप्रेक्ष्य है जहां से लोकतंत्र में संवाद-विवाद और विचारधारात्मक संघर्षों को देखा जाना चाहिए।
संवाद की दूसरी शर्त है सहिष्णुता और जिम्मेदारी। दुखद बात है इनमें से किसी भी तत्व की कसौटी पर नरेन्द्र मोदी खरे नहीं उतरते,इसलिए उनको आने वाले विधानसभा चुनावों में हर हालत में हराया जाना चाहिए।
(लेखक के फेसबुक वॉल से साभार)