दिलीप मंडल,प्रबंध संपादक,इंडिया टुडे
एक TV एंकर, जो आपकी पार्टी में शामिल होने वाला है, एक प्रोफेसर या समाजशास्त्री या ‘निष्पक्ष’ विश्लेषक, जो आपकी पार्टी में आने वाला है, इसके अलावा खुद आप का एक प्रतिनिधि और एक विरोधी पक्ष का आदमी. यानी आपके3+अन्य1. TV का पैनल डिस्कशन कई बार सिर्फ पैनल के सलेक्शन में बेहद रोचक होता है.
2009 में इस देश के 52% से कुछ ज्यादा लोगों ने कांग्रेस/बीजेपी से बाहर की पार्टियों को वोट दिया था. देश के हर दूसरे आदमी की आवाज कहां है?
इसलिए मुंह खोलकर टीवी मत देखिए. न मुंह खोलकर पढ़िए. जो चीज खुली होनी चाहिए उसे दिमाग कहते हैं.
(स्रोत-एफबी)