क्राइम पेट्रोल और सीआइडी जैसी सत्य घटनाओं पर आधारित टीवी सीरियल के आगे ये है इश्क की चर्चा अपेक्षाकृत कम होती है. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि इसका प्रसारण सेग्मेंटेड टीन एजर्स के चैनल यूटीवी बिंदास पर होता है. लेकिन कहानी की ट्रीटमेंट और कंटेंट डिलीवरी के हिसाब से देखें तो ये शो मनोरंजन चैनलों के बाकी कई कार्यक्रमों से ज्यादा बेहतर और स्वाभाविक है.
बालिका वधू की गहना के पति के रुप में लोकप्रिय रहे विक्रांत मैसे हालांकि क्राइम पेट्रोल के अनूप सोनी की तरह अपनी बात नहीं रख पाते लेकिन बात की तासीर लगभग वैसी ही है. खैर उपरी तौर पर देखें तो ये शो प्रेम से लोगों के तेजी से खत्म होते जा रहे यकीन को पुनः लौटाने की कोशिश नजर आती है लेकिन गौर करें तो ये तथाकथित ऑनर किलिंग जो कि अपने-आप में एक विकृत शब्द और व्याख्या है की आलोचना करते हुए इसकी कई स्वतंत्र कहानियां जो सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं, प्रसारित होते हैं. इनमे से अधिकांश कहानियां का पक्ष साफ है कि यदि बालिक लड़के और लड़कियां अपनी स्वेच्छा से संबंध में आते हैं तो समाज क्या माता-पिता और रिश्तेदारों को भी हक नहीं है कि इसके लिए रुकावट पैदा करे.
लेकिन इन कहानियां में लड़के-लड़कियों की हत्या, किसी और से इच्छा के विरुद्ध शादी किए जाने की घटना या फिर इन्हें प्रताड़ित किए जाने के वारदात जब प्रसारित होते हैं तो यूटीबी बिंदास जैसे चैनल पर एक दूसरी ही दुनिया बनती दिखाई देती है जो उसके बाकी के शो की कैजुअल और बिंदास दुनिया से बिल्कुल अलग है.
कुछेक एपीसोड तो इतने “सिनेमाई स्वाभाविकता” के नमूने लगते हैं कि आपको सोनी टीवी पर प्रसारित हुए उन सिने-धारावाहिकों की याद आने लगती है जिसे अनुराग कश्यप सहित इन्डस्ट्री के दिग्गज निर्देशकों ने तैयार किया था. लेकिन बीच-बीच के एपीसोड में ये सिनेमाई स्वाभाविकता प्रेम के उस संस्करण का पक्ष लेती नजर आते हैं जो शादी के पहले के प्रेम को भूलकर जबरदस्ती की गई शादी के बीच से पैदा हुए हैं. मयंक और सुमन का एपीसोड कुछ ऐसा ही हैं.
कुल मिलाकर देखें तो मोहब्बतें, डीडीएलजे और हम दिल दे चुके सनम जैसी फ्लेवर पैदा करने की कोशिश में ये शो तो बेहद सफल नजर आता है. संवाद लेखक की मेहनत साऱ दिखाई देती है लेकिन जैसे ही सच्ची घटनाओं पर आधारित शो के चश्मे से देखना शुर करें तो ये हिचकोले खाने लग जाता है..और यहीं पर आकर क्राइम पेट्रोल जैसा प्रभाव बनते-बनते रह जाता है.
स्टार- 3
प्रसारण समय- शुक्रवार और रविवार, शाम सात बजे
(मूलतः तहलका में प्रकाशित)