आजतक पर ऑपरेशन दंगा प्रसारित हुआ। सियासत की दुनिया में इससे कोहराम मच गया। कुछ ने आजतक के स्टिंग की तारीफ़ की तो कुछ ने आलोचना। आलोचना के केंद्र में दीपक शर्मा रहे जिन्होंने इस पूरे स्टिंग को अंजाम दिया। आलोचना के दौरान उनपर कई तोहमत लगी। कुछ लोगों ने गाली – गलौज भी की और मर्यादाओं को भी लांघ दिया। कुछ ने नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी तस्वीर शेयर कर उन्हें मोदी का एजेंट तक करार दिया। इसी मुद्दे पर IBN7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष और युवा पत्रकार योगेश कुमार शीतल की दो टिप्पणियाँ (मॉडरेटर)
आशुतोष, मैनेजिंग एडिटर, आईबीएन-7 : हमारे मित्र दीपक शर्मा की स्टिंग के लिये आलोचना की जा रही है । जो दीपक को नहीं जानते वही उनपर बेकार की तोहमत लगा सकते हैं । खामखा किसी की टांग खीचना, गाली देना, अपने को क्रांतिकारी बताने की कोशिश करना, सोशल मीडिया पर फैशन हो गया है । मैने दीपक के साथ काम किया है और मैं कह सकता हं कि वो देश के बेहतरीन पत्रकारों में से हैं । उन को मोदी समर्थक कहना , सांप्रदायिक कहना नासमझी है । दीपक पत्रकार हैं उनको पत्रकार ही रहने दे । प्लीज ।
Yogesh Kumar Sheetal : फोटो सेशन जारी है. अन्ना हजारे के साथ आरएसएस के नेताओं की फोटो डालिए, आसाराम के साथ दिग्विजय सिंह की डाल दीजिए और अब Deepak Sharma के साथ मोदी की डाल दीजिए. बस हो गया काम!
कोई भी पत्रकार “बाय डिफॉल्ट” तेज होता है. दीपक शर्मा क्या आपको इतना बेवकूफ लगते हैं कि अगर मोदी के साथ उनके गोपनीय संबंध होते तो वह उसे फेसबुक पर जाहिर कर देते? एक पत्रकार सबसे मिलता है और सबकी सुनता है, यही उसका काम है, इस दौरान हो सकता है कि वह संस्मरण के लिए फोटो भी संग्रहित कर लेता हो!
मैंने जब जस्टिस राजेन्द्र सच्चर का साक्षात्कार लिया था तो उनके साथ एक फोटो भी खिंचवाई थी उस फोटो को मैं उस दिन सार्वजनिक कर दूंगा जब उनपर कोई गंभीर आरोप लगेगा!
पुण्य प्रसून वाजपेयी, जिन्होंने पूरी खबर का संपादन किया होगा उन्होंने पिछले दिनों ही इशरत जहां इनकाउँटर पर एक मर्मस्पर्शी लेख लिखा था अपने ब्लॉग पर. इस लेख को बोल-बोल कर गिनकर दस बार पढिए.
(स्रोत – एफबी)