नदीम एस अख्तर
पीपली लाइव-2 का असर : एक चैनल के कर्ता-धर्ता महाखजाने की महाखोज से इतने उत्साहित हुए कि खुद ही एंकरिंग करने बैठे हुए हैं सुबह से. अनवरत कवरेज जारी है. लेकिन अपनी छवि की भद्द पिटने के डर से बार-बार यह कह रहे हैं कि सोना नहीं निकलेगा. यह सब बकवास है. चैनल का सबसे सीनियर रिपोर्टर भी डोडाखेड़ा पहुंच चुका है. ये महाशय नैशनल ब्यूरो में हैं लेकिन फिलहाल किले में पहुंचकर सोना-सोना चिल्ला रहे हैं. मदारी का तमाशा क्रिएट किए हुए हैं. पूछ रहे हैं कि मेहरबान, कदरदान, साहिबान. हम पूछता है कि सोना निकलेगा कि नहीं. बच्चा लोग, जो मानता है कि सोना निकलेगा, वो हाथ उठाओ. जो साहिबान मानते हैं कि सोना नहीं निकलेगा, वह भी अलग से हाथ उठाओ. बच्चा लोग बजाओ ताली.
ही ही ही, हा हा हा, हू हू हू…पब्लिक हंसती है, चिल्लाती है, फिर हाथ उठाती है. फिर पूरी की पूरी भीड़ हाथ उठाती है कि सोना निकलेगा. शोभन सरकार पर पूरा विश्वास है हमें. (मुझे तो ये सब planted crowd लग रहा है, शोभन की जय-जय करने के लिए जिन्हें वहां लगाया गया है, खासकर मीडिया कैमरों के सामने)
हां, तो तमाशा जारी है. भीड़ में सिर्फ एक हाथ उठता है जो कहता है कि —नहीं, सोना नहीं निकलेगा. रिपोर्टर और एंकर के चेहर चमक उठते हैं. हां, भइया तो नहीं निकलेगा सोना ना. वह आदमी कहता है कि नहीं, सोना नहीं निकलेगा जी. शोभन सरकार ने कहा है कि सोने से भी कीमती चीज निकलेगी. हा हा हा, हु हू हू, ही ही ही. रिपोर्टर का चेहरा देखने लायक है. बेचारा. सब के सब मजाक उड़ा रहे हैं. मजे ले रहे हैं. टीवी पर दिख रहे हैं. मस्ती हो रही है. टीवी का महंगा एयर टाइम आज सोने की, महाखजाने की खोज को devoted है. मुझे भी मजा आ रहा है. आज Entertainment channels ट्यून नहीं करना पड़ेगा. सारा एंटरटेनमेंट हिंदी न्यूज चैनलों से मिल रहा है. मस्ती-फन की भूख न्यूज वाले ही शांत कर रहे हैं.
हां तो बता रहा था कि न्यूज चैनल के कर्ताधर्ता बड़ी गंभीरता से कह रहे हैं कि खजाना नहीं निकलेगा. लेकिन वह यह नहीं बता रहे कि सुबह से लेकर दिनभर उनके चैनल ने दिमाग का जो दही किया हुआ है, वह किस तरफ इशारा करता है. अगर आप इसे इतनी ही non sense घटना समझते हैं तो दो दिनों से लगातार, अनवरत अपने चैनल पर इसकी महाकवरेज क्यों चला रहे हैं. ओबी वैन और सीनियर रिपोर्टर्स को घटनास्थल पर क्यों भेजा. महाकवरेज का लगातार प्रोमो क्यों चला रहे हैं. फिर एंकरिंग करके एक लाइन बोलते हैं कि ये सब बकवास है. सोना नहीं निकलेगा, मैं भविष्यवाणी कर रहा हूं.
फिर तो उनसे ये सवाल जरूर पूछा जाना चाहिए कि अगर यह इतनी ही बकवास खबर-घटना थी, तो आपने खुद की और चैनल की पूरी ताकत इसकी कवरेज में क्यों लगा दी????!!! ये तो दो मुंही बात हो गई. DOUBLE STANDARD. यानी अनवरत कवरेज करके टीआरपी भी बटोरेंगे और फिर कहेंगे कि ये सब बकवास है, मैं इसे नहीं मानता. अब कोई मूर्ख ही इस बात को मानेगा कि संपादक किसी खबर को बकवास करार दे दे और फिर उसकी कवरेज में एडी-चोटी का जोर भी लगा दे. यानी हाथी के दांत दिखाने के और व खाने के और. यह कहकर आप नैतिक बल लेंगे कि ये सब बकवास है और खुद उसकी अनवरत कवरेज दिखाएंगे-करेंगे-चलाएंगे, यहां तक कि इस महाकवरेज की एंकरिंग भी करेगे.
अगर इतना ही नैतिक बल है तो फिर तिरस्कार कीजिए इस खबर का. बुला लीजिए अपने रिपोर्टर्स और ओबी वैन वापस. अनवरत कवरेज को गिरा दीजिए. खबर को सिर्फ स्टोरी के रूप में हर घंटे कुछ मिनटों के पैकेज के रूप में चैनल पर दिखाइए. क्या ऐसा करने का नैतिक बल किसी हिन्दी टीवी चैनल में है??? अगर नहीं तो उधार की नैतिकता मत झाड़िए. दर्शक सब समझता है.
नोटः आंखों देखा हाल लिखते-लिखते मुझे भी लगने लगा है कि मैं इस भेड़चाल का हिस्सा बन गया हूं और इस महाकवरेज का अंग
(लेखक आईआईएमसी से जुडे हैं.उनके एफबी वॉल से साभार)
sona mile ya na mile khjana to milna tay hai woh kiya hoga
kehna muskil hai