दीपक शर्मा, पत्रकार, आजतक
मुल्क को मोतियाबिंद से बचाएं
गणतंत्र दिवस पर बधाई. पर राष्ट्र पर्व के इस मौके पर एक गुजारिश …समूची मीडिया को पेड मीडिया मत कहिये. सभी पत्रकारों को दलाल मत कहिये. तकलीफ होती है ऐसे इलज़ाम पढ़ पढ़कर ट्वीटर और फेसबुक पर. अगर रात में किसी बस स्टाप पर खड़ी बहिन को कॉल गर्ल कहना गुनाह है तो किसी खबर पर माईक लिए रिपोर्टर को दलाल कहना क्या सही है ?
कुछ पत्रकार दलाल हो सकते हैं…कुछ पत्रकार मोदी, राहुल या केजरीवाल के भांड हो सकते हैं…पर सबको मत कहिये. ये संस्था आयने की तरह है इस पर तोहमतों की इतनी खरोंचे मत मारिये की आयने में सबकुछ धुंधला दिखे. अगर आपकी खरोंचों से मीडिया का आयना धुन्धला गया तो इस मुल्क को मोतियाबिंद हो जायेगा. फिर कुछ नहीं दिखेगा. इसलिए गुज़ारिश है की तोहमत लगाने से पहले ये ज़रूर सोचें की किस पत्रकार पर क्या आरोप है और क्यूँ है ? एक ही पैमाने से सबको मत नापिए ?
इस देश में मुमकिन है की कई अखबार और चैनल के मालिक, हेड और ब्यूरो चीफ ..कारपोरेट और राजनीतिक पार्टी के हाथों बिके हो लेकिन मै यकीन दिलाता हूँ की अभी भी देश में हज़ारों पत्रकार है जो इमानदारी से काम कर रहे है और जिन्होंने अपना ज़मीर नही बेचा है. इसलिए सबको दलाल मत कहिये.
हमारे दिल में भी झांको अगर मिले फुर्सत
हम अपने चेहरों से इतने नज़र नही आते
(स्रोत-एफबी)
कितनी बड़ी वेदाना है एन स्श्ब्दो में की जो देश का चोट स्तम्भ माना जाता था आज कुछ चैनल और रिपोर्टर की वजह से बद्दम हो चूका है जैसे कुचंनेल बिना झिझिक के वाही दिखाते रहते जो लगता है की उनको ख़रीदा गया है