अरविंद केजरीवालजी, माफ कीजिएगा, अब आपके विज्ञापनों की शक्ल में आत्मश्लाघा से घिन आने लगी है

विनीत कुमार

arvind kejriwal fm

अरविंद केजरीवालजी, माफ कीजिएगा..अब आपके विज्ञापनों की शक्ल में आत्मश्लाघा से घिन आने लगी है. आप अपनी तारीफ में इतना कुछ कैसे बोल लेते हैं, हम दिन-रात आपको इस तरह एफ एम में बोलते सुनते हैं तो कभी-कभी तो हंसी आती है लेकिन ज्यादातर बात पर झुंझलाहट होती है कि माध्यम के स्तर पर आप भी वही सब कर रहे हैं जिसके लिए कांग्रेस और बीजेपी शुरु से बदनाम रही है. मैं आपके विज्ञापनों और प्रोमोशनल एक्टिविटी को मतदाता की हैसियत से नहीं, एक मीडिया छात्र के नाते देख-समझ रहा हूं और महसूस करता हूं कि आपने इस स्तर पर इसका बेहद ही घटिया और बेहूदा इस्तेमाल किया है.

एक नई राजनीतिक पार्टी जब अस्तित्व में आती है और वो भी आपकी जैसी जो भ्रष्टाचार मुक्त परिवेश की बात करती है तो उसे सिर्फ राजनीतिक स्तर पर सुधार करना नहीं होता बल्कि उन तमाम मोर्चे पर अलग और बेहतर करना होता है जिसका सीधा संबंध लोगों से है. एफ एम रेडियो अच्छा है या बुरा ये अलग मसला है लेकिन पब्लिक स्फीयर का जरुरी हिस्सा तो है ही जिसे कि आपके खुद की तारीफ में लिथड़े विज्ञापन कबाड़ा करने में बाकी दोनों पार्टियों की ही तरह असर कर रहे हैं.

अरविंद केजरीवालजी, बेगूसराय के एक शख्स ने आम आदमी पार्टी को 11000 रुपये और उनकी तरह न जाने कितने लोगों ने अपने खर्चे से काटकर पैसे इसलिए नहीं दिए कि आप अपनी तारीफ में लाखों रुपये के विज्ञापन पर एफ एम रेडियों में फूंक दें. ऐसे दानकर्ताओं पर ओपन पत्रिका ने ताजा अंक में स्टोरी भी की है. वो बिना इन विज्ञापनों के भी जानते रहे हैं कि आप कुछ अलग और बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं. बेगुसराय में तो आपका बिल्कुल भी जनाधार नहीं है और नहीं दिल्ली चुनाव में वहां का मतदाता वोट करने जा रहे हैं, फिर भी. लेकिन

आपके काम और पार्टी को लेकर लोगों के बीच एक भावनात्मक माहौल तो बना ही है जिसे कि एफ एम रेडियो पर आपके आत्मश्लाघा प्रलाप डैमेज कर रहे हैं. वो श्रोता जो आपकी पार्टी का हिस्सा नहीं है, कार्यकर्ता नहीं है और चीजों को तटस्थ ढंग से देख रहा है, यकीन मानिए एक समय के बाद इरिटेट हो जा रहा है. बहुत ही सीधा सवाल है..अगर चुवान जीतने के लिए पानी की तरह इन विज्ञापनों पर पैसे बहाना जरुरी है तब तो शराब, तमाशे पर भी पैसे लुटाना उतना ही जरुरी है..कल को बने रहने के लिए ये भी करेंगे और तब उसके तर्क आपके पास होंगे.. अभी तक मैं माध्यम के हिसाब से जितना देख पा रहा हूं, आप और आपकी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी से किसी भी स्तर पर अलग और कम नहीं है. अब किसी भी पार्टी की दो तरह से व्याख्या होनी चाहिए- माध्यमों में आप, कांग्रेस और बीजेपी और पब्लिक स्फीयर में आप,कांग्रेस और बीजेपी..पहले मोर्चे पर सब बराबर हैं. मेरी दिलचस्पी आम आदमी पार्टी के चुनावी विज्ञापनों के खर्चे को जानने में जरुर रहेगी कि आपने उस मीडिया पर कितने पैसे फूंक दिए जिसे कि कल तक आप कार्पोरेट और कांग्रेस की कठपुतली बताते रहे हैं.

(स्रोत – एफबी)

1 COMMENT

  1. Doosary Partitiyan Karoron Ad per kharch karti hai kya rahul aur Soniya ko log nahi jante jo upper likha ha paise kharach ker ke Kejriwal FM per ad de rahe hain kabhi congress aur BJP se poocha hai itna kyon ad mein kharach karte ho nahi himmat likhna aur kahna asaan hai nahi tumhare liye

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