कुमुद सिंह
अमित साह की कार्यप्रणाली को आज और करीब से समझा। सच में भाजपा को एक अदभुत रणनीतिकार मिला है। जब दूसरे दल झारखंड और कश्मीर में चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं, वही साह के एजेंडे पर ये राज्य हैं से थे हो चुके हैं। जी हां, ये दोनों उनके एजेंडे में थे। अब उनके एजेंडे पर कौन है यह बताने की जरुरत नहीं है। मैं उसकी बात भी यहां नहीं करूंगी। बात महाराष्ट्र की करूंगी। शिवसैनिकों को भाजपा के कार्यकर्ता बना देने का हुनर जानने के लिए मैं बेताब थी। उनके एक करीबी से संपर्क हुआ तो पूरी रणनीति समझ पायी। भारत में शायद ही किसी दल के पास भाजपा जैसा कंबोकैपेन करने की योजना या क्षमता हो। भाजपा एक ओर बसपा की तरह अपने सबसे छोटे पदाधिकारी तक को क्षेत्र सौंप कर आखिरी वोटर तक पहुंचने को कहती है , तो दूसरी ओर उसके वार रूम में उन पदाधिकारियों क काम की जांच वोटर सूची और मिसकॉल के बढते आंकडों को क्षेत्रवार बांट कर किया जाता है। एक ओर गाव देहात का पैदल और मोटरसाइकिल वाला कार्यकर्ताओं का दैहिक श्रम तो दूसरी ओर प्रबंधन और चिंतन के महारथी का पंचसितारा होटलों में हवा का रुख बदलने और मीडिया में आरपेट बौंबिंग की तैयार हा रही योजना ही मूल रूप से भाजपा को अविश्वसनीय जीत दिला रही है। दरअसल ऐसी तैयारी में भाजपा को कोई टक्कर हाल फिलहाल दे पायेगा इसकी उम्मीद कम है। क्योंकि अधिकतर राजनीतिक दल में न तो प्रखंड स्तर पर कार्यकर्ताओं की पूछ है और न ही मेंटर ग्रुप और थिंकटैंक ही इतनी प्रतिभा संपन्न है। बहुत फासला आ चुका है भाजपा और अन्य दलों के बीच।
(स्रोत-एफबी)