रॉबर्ट वाड्रा ने कल न्यूज़ एजेंसी ANI के माइक को धकेल कर अपने से परे हटा दिया और सवाल पूछने वाले रिपोर्टर से दुर्व्यवहार किया. मामला यही तक नहीं रूका, बल्कि उसके बाद रिपोर्टर को रोका गया और फूटेज हटाने की बात कही गयी. रॉबर्ट वाड्रा के इस व्यवहार की चारो तरफ आलोचना हुई. वाकई में ये एक निंदनीय घटना है और इसकी और इस जैसी किसी भी घटना की जितनी भी अधिक भर्त्सना की जाए,कम ही है.
लेकिन समाचार चैनल ‘ज़ी न्यूज़’ अब इस मुद्दे को अपने व्यक्तिगत एजेंडे के खांचे में फिट कर दिखा रहा है. चैनल इस मुद्दे को लेकर दूसरे चैनलों की अपेक्षा कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गया है और कल रात से दूसरी ख़बरों को दरकिनार लगातार इसी खबर के आसपास मंडरा रहा है.
बहस के अलावा एसएमएस पोल तक करवाए जा रहे हैं. रॉबर्ट वाड्रा का वह विजुअल लगातार दिखाया जा रहा है जिसमें वह माइक को धक्का देते और रिपोर्टर से बदसलूकी करते हुए निकल जाते हैं. लेकिन जब यह विजुअल दिखाया जा रहा है तो बीच – बीच में कांग्रेसी उद्योगपति नवीन जिंदल का विजुअल भी दूसरे फ्रेम में दिखाया जा रहा है.
यह वह पुराना विजुअल है जिसमें जिंदल और ज़ी न्यूज़ के एक रिपोर्टर के बीच बहुत पहले कुछ ऐसी ही नोक – झोक हुई थी. तब ज़ी न्यूज़ ने इस खबर को अपने चैनल पर खूब बढ़ा-चढाकर पेश किया था. हालाँकि दूसरे चैनलों ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी क्योंकि मामला दोनों ग्रुप के आपसी रंजिश का था.
उसके बाद ज़ी – जिंदल ब्लैकमेलिंग प्रकरण हुआ और जिंदल ने ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी का स्टिंग कर तिहाड़ जेल की हवा तक खिलवाई. वह मामला अब भी चल रहा है और दोनों ग्रुप एक – दूसरे को मात देने की जुगत में अब भी लगे है. ये लड़ाई ज़ी न्यूज़ के स्क्रीन पर भी अक्सर दिखाई देती है और जिंदल से संबंधित कोई भी खबर होने पर ज़ी मीडिया ज्यादा आक्रामक तरीके से खबर दिखाने लगता है.
लेकिन अब जब वाड्रा का मामला है तो जिंदल की फूटेज दिखाने का क्या औचित्य? मतलब साफ़ है कि दामाद की दादागिरी के बहाने ‘जी न्यूज’ जिंदल पर भी निशाना लगाने से नहीं चूक रही है. ज़ी न्यूज़ की इस पत्रकारिता को क्या कहे?
Can’t trust Z news.