ओम थानवी,वरिष्ठ पत्रकार
साहित्य अकादेमी के भाजपाशरण हो जाने की बात तो तीन लेखकों की हत्या पर धारण की गई चुप्पी के वक़्त ही ज़ाहिर हो गई थी। लेकिन यह नया ग़ुल 14 सितम्बर को खिलाया जाएगा जब भाजपा समर्थित नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य, बदनाम ज़ी न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा, “चर्चित विद्वान” बनकर साहित्य अकादेमी जैसे संस्थान के मंच पर प्रकट होंगे और हास्यकवि अशोक चक्रधर के साथ मिलकर हिंदी भाषा की वर्तमान चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, समाधान सुझाएँगे!
और भी बड़ी शर्म देखिए – हिंदी दिवस के मौक़े पर साहित्य अकादेमी का यह कार्यक्रम सुभाष चंद्रा की ही “ज़ी” कम्पनी के सहयोग से आयोजित होगा।
तो इस राज में साहित्य-कला के इदारे भी कॉरपोरेट घरानों को समर्पित होने लगे? हिंदी दिवस का भारी-भरकम बजट साहित्य अकादेमी के खाते से कहाँ चला गया? @fb