फ्रांस में बुधवार को ‘Charlie Hebdo’ पत्रिका के दफ्तर पर हमला हुआ और संपादक समेत दस पत्रकार आतंकियों के गोली के शिकार बन गए. पूरे विश्व ने इसे निंदनीय घटना करार दिया और मीडिया में यही खबर छा गयी. भारतीय मीडिया में भी घटना की कवरेज हुई और चैनलों की हेडलाइन से लेकर अख़बारों की सुर्ख़ियों में सिर्फ यही खबर . लेकिन अखबार के नाम को लेकर तब असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी जब भारत की मीडिया ‘चार्ली – शार्ली’ में विभाजित हो गयी. कोई ‘शार्ली एब्दो’ लिख रहा है तो कोई ‘चार्ली एब्दो’. वैसे अंग्रेजी में तो Charlie Hebdo ही है. मामला उच्चारण का है. ज़ी न्यूज़ ने कल पूरे समय अपने बुलेटिन में ‘चार्ली’ शब्द का प्रयोग किया और लगातार फ्लैश चलता रहा – मैं हूँ चार्ली. लेकिन बीबीसी हिंदी ने ‘शार्ली’ लिखा. ऐसे में असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी. मीडिया खबर डॉट कॉम ने इस असमंजस को दूर करने के लिए तथ्य की जांच की तो पता चला कि सही उच्चारण ‘शार्ली एब्दो’ ही है. फ्रांस में वर्षों से रह रही सविता जाखड़ से जब हमने ऑनलाइन के जरिए संपर्क साधकर इस बाबत पूछा तो उन्होंने कहा कि –
फ्रेंच में Charlie को शार्ली प्रोनाउन्स करते हैं , but in english its चार्ली .
एनडीटीवी के अखिलेश शर्मा ने भी एफबी पर लिखा –
फ्रेंच और सही उच्चारण शार्ली एब्डो है।
वही भाषा के अच्छे जानकार और वरिष्ठ पत्रकार कमर वहीद नकवी ने उच्चारण वाली वेबसाईट का लिंक देते हुए लिखा
www.forvo.com पर जा कर उच्चारण जाना जा सकता है.
उच्चारण जानने के हिसाब से ये एक अच्छी वेबसाइट है और जब वहां जाकर हमने उच्चारण सुना तो वे भी ‘शार्ली’ ही उच्चारण कर रहे थे.मतलब साफ़ है कि सही उच्चारण ‘शार्ली एब्दो’ ही है. उच्चारण के मामले में फ्रेंच से अंग्रेजी और अंग्रेजी से हिंदी उच्चारण का क्या मतलब? उच्चारण में भी क्या अनुवाद जरूरी है? इसलिए ज़ी न्यूज़ के चार्ली के चक्कर में न फंसे, उच्चारण करें – ‘शार्ली एब्दो’.